निकले हैं भोला लेके बरात
निकले हैं भोला, लेकर बरात,
भूतों की टोली, हैं उनके साथ,
बड़े मतवाले हैं शिव डमरू वाले,
बड़े मतवाले हैं शिव डमरू वाले
शीश पे हैं चंदा और जटा में गंगा की धारा,
कानों में कुंडल हैं और गले में पुष्पों की माला,
हाथ में, डमरू को, डम डम बजा रहे हैं शिव डमरू वाले,
बड़े मतवाले हैं शिव डमरू वाले
बड़े मतवाले हैं शिव डमरू वाले,
आगे आगे ब्रह्मा, संग विष्णु जी के चल रहे हैं,
पीछे-पीछे देखो, ढोल ताशे मृदंग बज रहे हैं,
खुश होकर, मस्ती में, डमरु बजा रहे हैं, शिव डमरू वाले,
बड़े मतवाले हैं शिव डमरू वाले,
बड़े मतवाले हैं शिव डमरू वाले,
खिल उठा मन सबका, देख के ये अद्भुत नजारा,
शिव और सती का, आज होगा मिलन ये दुबारा,
मिलने को, गोरा से, ख़ुद चले आए हैं, शिव डमरू वाले,
बड़े मतवाले हैं शिव डमरू वाले,
बड़े मतवाले हैं शिव डमरू वाले,
Ly rics - Jay Prakash Verma, Indore
श्रेणी : शिव भजन
निकले हैं भोला लेके बरात ।। महाशिवरात्रि भजन ।। #priyanjaykeshyambhajan #shivratri #shivratri2025
महादेव की भक्ति में डूबे इस अनोखे भजन "निकले हैं भोला लेकर बरात" में भगवान शिव की अद्भुत बारात का वर्णन किया गया है। इस भजन को जय प्रकाश वर्मा (इंदौर) ने लिखा है, जिसमें भोलेनाथ की भूतों की टोली के साथ निकलने वाली अलौकिक यात्रा का मनोरम चित्रण मिलता है।
भजन की पंक्तियाँ शिव की दिव्य झांकी को प्रस्तुत करती हैं - शीश पर चंद्रमा, जटा में गंगा की धारा, कानों में कुंडल और गले में पुष्पों की माला - ये सभी भोलेनाथ के भव्य स्वरूप को जीवंत कर देते हैं। उनके साथ ब्रह्मा और विष्णु भी बारात में सम्मिलित हैं, और पीछे-पीछे ढोल-नगाड़ों की गूंज से पूरा वातावरण भक्तिमय हो उठता है।
सबका मन आनंदित हो जाता है जब वे इस दिव्य दृश्य को देखते हैं, क्योंकि यह कोई साधारण यात्रा नहीं, बल्कि शिव और माता सती के पुनर्मिलन की पावन घड़ी है। यह भजन महाशिवरात्रि के अवसर पर विशेष रूप से गाए जाने योग्य है, क्योंकि इसमें भोलेनाथ के डमरू की गूंज, भूत-गणों की टोली और शिव-पार्वती विवाह की महिमा को भावपूर्ण रूप में प्रस्तुत किया गया है।
इस भजन की हर पंक्ति शिवभक्तों के मन में भक्ति और श्रद्धा की भावना जागृत कर देती है। अगर आप शिवरात्रि या किसी भी दिन भोलेनाथ की महिमा का आनंद लेना चाहते हैं, तो यह भजन आपके हृदय को शिवमय कर देगा।