मैं पतंग हूं बाबा
मैं पतंग हु प्यारे तेरे हाथ है मेरी डोर,
मैं हु तेरी मर्जी पे नचाले जिस और,
एक चले न बाबा तेरे आगे मेरा जोर,
मैं हु तेरी मर्जी पे नचाले जिस और,
तू श्याम बाबा मेरा तू ही मेरी मैया,
थाम के कलाही चलना धुप हो जा छइया,
देख के तुझको सोऊ तेरे भजन से जागे बोर
मैं हु तेरी मर्जी पे नचाले जिस और........
जीत भी काबुल मुझे हार भी काबुल है,
प्यार तेरे फूलो से भी हार भी काबुल है,
जीत के ना इतराऊ हारू तो करू ना छोर,
मैं हु तेरी मर्जी पे नचाले जिस और....
करू मैं गुलामी तेरी यही मेरा खवाब है,
अजमा के देख ये गुलाम ला जवाब है,
तू जो कहे मैं तो नाचो तेरे आगे बनके मोर,
तेरी ख़ुशी की खातिर बन जाऊ माखन चोर,
मैं पतंग हु प्यारे तेरे............
श्रेणी : खाटू श्याम भजन
मीठा भजन खाटू श्याम- मैं पतंग हूँ प्यारे तेरे हाथ है मेरी डोर Mai Patang hu pyare #shyambhajan
"मैं पतंग हूँ प्यारे तेरे हाथ है मेरी डोर" यह भजन श्याम प्रेमियों के हृदय में गूंजने वाला एक मधुर गीत है, जो भक्त और श्याम बाबा के रिश्ते को बड़ी खूबसूरती से दर्शाता है। यह भजन भक्त की संपूर्ण समर्पण भावना को व्यक्त करता है, जिसमें वह स्वयं को एक पतंग मानता है और श्याम बाबा को उस पतंग की डोर थामने वाला। जैसे पतंग अपनी डोर के बिना कुछ नहीं होती, वैसे ही भक्त भी अपने आराध्य के बिना अधूरा होता है।
इस भजन के बोल न सिर्फ भावनाओं से भरपूर हैं, बल्कि यह भक्त और भगवान के अनन्य प्रेम को भी उजागर करते हैं। "तू श्याम बाबा मेरा, तू ही मेरी मैया," इस पंक्ति में भक्ति की वो गहराई झलकती है, जिसमें भगवान को माता-पिता के समान समझा जाता है। यह भजन केवल एक गीत नहीं, बल्कि एक आत्मा की पुकार है, जो भगवान के प्रति अपनी पूर्ण निष्ठा और समर्पण को दर्शाती है।
"जीत भी काबुल मुझे, हार भी काबुल है," यह पंक्तियाँ सिखाती हैं कि सच्चे भक्त के लिए सफलता या असफलता का कोई मोल नहीं होता। उसके लिए सबसे बड़ी विजय यही होती है कि वह अपने आराध्य की सेवा में लगा रहे। यही नहीं, भजन के अंत में यह भी कहा गया है कि वह गुलामी को भी सौभाग्य मानता है, क्योंकि वह श्याम बाबा की सेवा में समर्पित रहना चाहता है।
खाटू श्याम जी के भक्तों के लिए यह भजन केवल एक गीत नहीं, बल्कि भक्ति का एक सजीव रूप है, जो उन्हें उनके आराध्य के और करीब ले जाता है। इसकी मधुरता, गहराई और भक्ति भाव इसे और भी खास बना देते हैं। यह भजन सुनकर हर भक्त खुद को श्याम बाबा की शरण में समर्पित करने की भावना से भर उठता है।