लो आ गया फागण मेला श्याम का
लो आ गया फागण मेला,
लो आ गया फागण मेला,
आ गया फागण मेला,
लो आ गया फागण मेला,
लगता भक्तों का रेला,
लो आ गया फागण मेला,
खूब सजे है दरबार श्याम को,
लगता है अलबेला,
लो आ गया फागण मेला,
दूर दूर से भगत पधारे,
श्याम मिलन की मंगल बेला,
लो आ गया फागण मेला,
तू कर ले खाटू की तैयारी,
कहीं रह ना जाये अकेला,
लो आ गया फागण मेला,
रंग अबीर गुलाल उड़े है,
होली बाबा संग खेला,
लो आ गया फागण मेला,
अरज़ सुने है बाबा सब भागता की,
यो पंकज तेरा चेला,
लो आ गया फागण मेला,
श्रेणी : खाटू श्याम भजन
Lo Aa Gaya Fagan Mela | Khatu Shyam Bhajan | Pankaj Bansal | लो आ गया फागण मेला श्याम का
"लो आ गया फागण मेला" एक ऐसा भक्तिमय भजन है, जो बाबा श्याम के भक्तों को फागण मेले की रौनक और भक्ति के रंगों में रंग देता है। पंकज बंसल द्वारा प्रस्तुत इस भजन में खाटू नगरी की दिव्यता, भक्तों की उमंग और बाबा श्याम की महिमा को बड़े ही सुंदर शब्दों में पिरोया गया है।
भजन की शुरुआत ही इस उत्साह से होती है कि "लो आ गया फागण मेला, लगता भक्तों का रेला..."। जैसे ही फागण महीना आता है, खाटू में भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ता है। दूर-दूर से श्रद्धालु बाबा श्याम के दर्शन को आते हैं, और दरबार अलौकिक रोशनी और भक्तों की भक्ति से जगमगा उठता है। भजन में बताया गया है कि यह अवसर बाबा श्याम के मिलन की मंगल बेला है, जहां हर भक्त उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए आतुर रहता है।
आगे की पंक्तियाँ "तू कर ले खाटू की तैयारी, कहीं रह ना जाए अकेला..." हर भक्त को याद दिलाती हैं कि अगर बाबा श्याम की भक्ति में डूबना है तो इस पावन मेले में आना ही होगा। फागण के इस पर्व पर खाटू नगरी रंगों और श्रद्धा से सराबोर हो जाती है, जहां गुलाल और अबीर उड़ता है और भक्तजन बाबा के साथ होली खेलते हैं।
भजन का अंत बाबा श्याम की कृपा और भक्तों की अर्जी के भाव से होता है – "अरज़ सुने है बाबा सब भागता की, यो पंकज तेरा चेला..."। यह बताता है कि बाबा श्याम अपने भक्तों की हर पुकार सुनते हैं और उन्हें अपने स्नेह और कृपा से नवाजते हैं। इस भजन को सुनते ही हर भक्त के मन में खाटू धाम जाने की तीव्र इच्छा जाग उठती है, और फागण के इस अलौकिक मेले में डूब जाने का भाव उमड़ने लगता है।