ढोल वज्जदा ते नगाड़े वज्जदे - dhol vajjda te nagade vajjde

ढोल वज्जदा ते नगाड़े वज्जदे



ढोल बजदा ते नगाड़े बजदे,

ढोल बजदा, ते नगाड़े बजदे ll
इथे, टल्लियां खड़कण, (हर वेले) ll

मेरी, मां का, भवन निराला l
दर्शन, पावे, कर्मों वाला ll
एथे, जोत जगदी,,, बड़ी, प्यारी लगदी,,,
तैनू, दर ते बुलावे, (हर वेले) l
तैनू, चिठ्ठियां पावे, (हर वेले) l
तैनू, कोल बिठावे, (हर वेले) l
तैनू, गल नाल लावे, (हर वेले, हो,) l

जेहड़े, मां का, भवन सजाऊंदे l
जो, वर मंगदे, मां कोलों पाऊंदे ll
मइया, जग जननी, ते भंडारे भरदी,,,
तेरे, भर दऊं भंडारे, (हर वेले) l
तैनू, चिठ्ठियां पावे, (हर वेले) l
तैनू, कोल बिठावे, (हर वेले) l
तैनू, गल नाल लावे, (हर वेले, हो,) l

विच, गुफा दे, वास है तेरा l
खाली, क्यूं, मन मंदिर मेरा ll
तेरा, उद्धार करेगी, ते बेड़ा, पार करेगी,
तैनू दर ते बुलावे, (हर वेले) l
तैनू, चिठ्ठियां पावे, (हर वेले) l
तैनू, कोल बिठावे, (हर वेले) l
तैनू, गल नाल लावे, (हर वेले, हो,) l

मां दे, दर ते, सीस झुका ले l
जोगा, तू, तक़दीर बना ले ll
आस, पूरी करेगी, ते, झोली भरेगी,
तैनू दर ते बुलावे, (हर वेले) l
तैनू, चिठ्ठियां पावे, (हर वेले) l
तैनू, कोल बिठावे, (हर वेले) l
तैनू, गल नाल लावे, (हर वेले, हो,) l



श्रेणी : दुर्गा भजन



Dhol Vajda Nagade Vajde

"ढोल बजदा ते नगाड़े बजदे" एक अत्यंत उत्साहपूर्ण और भक्तिभाव से भरपूर देवी भजन है, जिसमें माँ वैष्णो देवी के पावन धाम की महिमा का अद्भुत वर्णन किया गया है। इस भजन में माता के भक्तों के उल्लास, श्रद्धा और भक्ति को संगीतमय रूप में प्रस्तुत किया गया है।

भजन की शुरुआत ही ढोल-नगाड़ों की गूंज से होती है, जो माँ के दरबार में बजते हैं और भक्तों के हृदय में भक्ति का संचार करते हैं। माँ के भवन की निराली महिमा, भक्तों की अरदास और माता रानी की कृपा से मिलने वाले वरदानों का वर्णन इस भजन को और भी दिव्य बना देता है।

भजन में बताया गया है कि माँ के दर पर जो भी श्रद्धा से आता है, उसे माँ कभी खाली नहीं लौटातीं। माँ जगजननी अपने भक्तों के भंडार भरती हैं, उद्धार करती हैं और उनके जीवन का बेड़ा पार लगाती हैं। माता रानी के चरणों में शीश झुकाने से ही भक्तों की तक़दीर संवर जाती है और उनकी सभी मनोकामनाएँ पूरी हो जाती हैं।

"हर वेले" (हर समय) माँ अपने भक्तों को बुलाती हैं, उन्हें अपने पास बैठाती हैं, अपनी कृपा से उनकी झोली भरती हैं और अपने प्रेम से उन्हें अपनाती हैं। इस पंक्ति की बार-बार पुनरावृत्ति भजन को और अधिक भावनात्मक और भक्तिमय बना देती है।

"ढोल बजदा ते नगाड़े बजदे" भजन केवल एक गान नहीं, बल्कि भक्तों के हृदय से निकली एक पुकार है, जिसमें माँ के प्रति अटूट आस्था और प्रेम झलकता है। यह भजन माँ वैष्णो देवी की महिमा का गुणगान करते हुए भक्तों को उनके चरणों में समर्पण करने की प्रेरणा देता है।

Harshit Jain

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