आजा अब तो लाज बचाने
हम तो आये तेरे द्वारे दुःख दर्दो के मारे,
आजा अब तो लाज बचाने ओ हारे के सहारे,
पैदल चल कर रींगस से मैं तेरा निशान उठाऊं,
चढ़ कर तेरह पैड़ी बाबा तेरा दर्शन पाऊं,
लेने आजा तोरण द्वार पे तेरा ये दास पुकारे,
आजा अब तो लाज बचाने ओ हारे के सहारे,
मैं श्याम कुंड में नहा के बाबा तेरे दर पे आऊं,
केसर इत्र गुलाब लेकर तुझको भेंट चढ़ाऊँ,
भोग लगाऊं तुझको बाबा छप्पन भोग तू खा ले,
आजा अब तो लाज बचाने ओ हारे के सहारे,
तू झोली सबकी भरता बाबा दर जो तेरे आये,
इच्छा सबकी पूरी होती ध्यान जो तेरा लगाए,
मोहित गोयल के तूने बाबा बिगड़े काम सँवारे,
आजा अब तो लाज बचाने ओ हारे के सहारे,
श्रेणी : खाटू श्याम भजन
Aaja Laaj Bachane | आजा अब तो लाज बचाने ओ हारे के सहारे | Khatu Shyam Latest Bhajan | Mohit Goyal
"आजा अब तो लाज बचाने ओ हारे के सहारे" एक भावनात्मक और भक्तिमय खाटू श्याम भजन है, जो श्रद्धालुओं की गहरी आस्था और समर्पण को दर्शाता है। यह भजन उन भक्तों की भावनाओं को व्यक्त करता है, जो अपने दुःख और कष्टों को लेकर बाबा श्याम के चरणों में शरण लेते हैं, उन्हें हारे का सहारा मानते हैं और अपने जीवन के संकटों से मुक्ति पाने के लिए प्रार्थना करते हैं।
भजन की हर पंक्ति भक्तों की उस यात्रा को दर्शाती है, जब वे पैदल चलकर रींगस से खाटू धाम पहुंचते हैं, बाबा का निशान उठाते हैं और तेरह पवित्र पैड़ियों को चढ़कर उनके दिव्य दर्शन प्राप्त करते हैं। यह यात्रा केवल एक तीर्थयात्रा नहीं, बल्कि भक्त के प्रेम, श्रद्धा और समर्पण की परीक्षा होती है, जहाँ वह बाबा श्याम से कृपा की याचना करता है।
"मैं श्याम कुंड में नहा के बाबा तेरे दर पे आऊं, केसर इत्र गुलाब लेकर तुझको भेंट चढ़ाऊँ"—यह पंक्ति बाबा के प्रति अटूट प्रेम और सेवा-भाव को प्रकट करती है। भक्त अपनी ओर से हर संभव सेवा और भक्ति अर्पित करता है, छप्पन भोग का समर्पण करता है, और बाबा से कृपा बरसाने की प्रार्थना करता है।
यह भजन श्याम प्रेमियों के मन में आस्था, भक्ति और समर्पण की भावना को जागृत करता है। मोहित गोयल द्वारा प्रस्तुत यह भजन उन सभी भक्तों के लिए एक प्रेरणा है, जो बाबा के चरणों में अपने मन की बात रखते हैं और उनकी कृपा की प्रतीक्षा करते हैं। बाबा श्याम के दरबार में जो सच्चे मन से आता है, उसकी हर अर्जी स्वीकार होती है और उसका जीवन मंगलमय हो जाता है।