श्याम संग खेलूं होली
बाबा प्रेम की होली है,
श्याम संग खेलूं होली,
उन्हें रंग जो लगाना है।।
ऐसा रंग लगाऊं मैं,
जो ना छूटे जीवन में,
प्रेम की डोरी बाँध कर,
उसे बसा लूंगा मन में,
उस खाटू वाले का,
उस लीले वाले का,
मेरा दिल तो क्या,
सारा जग ये दीवाना है।।
ब्रज की होली देखि,
हमने बाबा सौ सौ बार,
इस बरस होली खेले,
हम तेरे संग सरकार
अपनों को छोड़ा है,
सारी दुनिया छोड़ी है,
अब तो मेरा मन कहे,
बस खाटू जाना है।।
सबकी होली रंग भरी,
ये बाबा कर देता है,
जो भी इसके रंग रंगे,
ये साथ हमेशा देता है,
‘पुष्पेंद्र’ प्रभु है तेरा,
‘रागी’ है श्याम तेरी,
तेरी रहमतों से बाबा,
अनमोल खज़ाना है।।
बाबा प्रेम की होली है,
श्याम संग खेलूं होली,
उन्हें रंग जो लगाना है।।
श्रेणी : कृष्ण भजन
Holi Special | श्याम संग खेलूं होली | Shyam Sang Khelun Holi | Sudhanshu Pandey | Full HD Song
होली का पर्व जब प्रेम और भक्ति के रंगों में रंग जाता है, तब वह अनोखा आनंद देता है। "बाबा प्रेम की होली है" भजन इसी पावन भाव को दर्शाता है, जिसमें श्याम प्रेमियों की अनूठी भक्ति झलकती है। यह भजन केवल शब्दों का मेल नहीं, बल्कि भक्तों की उस भावना का प्रतीक है, जो वे अपने प्रिय खाटू वाले श्याम के प्रति रखते हैं।
इस भजन में भक्ति और प्रेम के रंगों को खूबसूरती से पिरोया गया है। भक्त श्याम संग होली खेलने की इच्छा प्रकट करता है और यह कामना करता है कि उसे ऐसा प्रेम का रंग मिले, जो जीवनभर ना छूटे। जब भक्त प्रेम और श्रद्धा से अपने आराध्य के चरणों में समर्पित होता है, तो वह सांसारिक मोह-माया से मुक्त होकर केवल प्रभु में ही रम जाता है।
भजन में ब्रज की होली का उल्लेख करते हुए यह भाव प्रकट किया गया है कि कई बार ब्रज की होली देखी, लेकिन अब इस वर्ष श्याम सरकार के संग होली खेलने की इच्छा है। यह श्याम प्रेमियों के उस अनन्य प्रेम को दर्शाता है, जिसमें वे अपने आराध्य के बिना कुछ भी नहीं चाहते। भक्त कहता है कि उसने सबकुछ छोड़ दिया, अब केवल खाटू जाने की ही इच्छा है।
भजन के अंतिम भाग में श्याम बाबा की कृपा का वर्णन किया गया है। जो भी उनके रंग में रंग जाता है, वे उसे कभी नहीं छोड़ते। उनका प्रेम और रहमत भक्तों के लिए अनमोल खज़ाने की तरह है। इस भजन को पुष्पेंद्र रागी द्वारा लिखा गया है और इसे बड़े भावपूर्ण तरीके से प्रस्तुत किया गया है।