प्रभु हमको ऐसी ऊंचाई ना दे
प्रभु हमको ऐसी ऊंचाई ना दे,
के अपने सिवा कुछ दिखाई ना दे,
हमें ऐसी जन्नत नहीं चाहिए,
जहाँ से वृन्दावन दिखाई ना दे,
प्रभु ऐसे एहसास का नाम है,
रहे सामने और दिखाई ना दे,
Ly rics (English)
Prabhu Humko Aisi Unchayi Na De
Ke Apne Siwa Kuch Dikhayi Na De
Hame Aisi Jannat Nahi Chahiye
Jahan Se Vrindavan Dikhayi Na De
Prabhu Aise Ehsaas Ka Naam Hai
Rahe Saamne Aur Dikhayi Na De
श्रेणी : कृष्ण भजन
Nirguni Bhajan | प्रभु हमको ऐसी ऊंचाई ना दे कि अपने सिवा कुछ दिखाई ना दे | Mannat Masoom Bhakti
"प्रभु हमको ऐसी ऊंचाई ना दे" एक अद्भुत और गहरी आध्यात्मिक अनुभूति से भरा निर्गुणी भजन है, जिसे सुनकर मन प्रभु भक्ति में लीन हो जाता है। इस भजन को मन्नत मासूम भक्ति जी ने अपनी भावपूर्ण आवाज़ में प्रस्तुत किया है, जो इसे और भी प्रभावशाली बना देता है।
भजन की हर पंक्ति में भक्ति, विनम्रता और आध्यात्मिक सत्य का सुंदर मिश्रण है। इसमें यह प्रार्थना की गई है कि प्रभु हमें ऐसी ऊंचाई न दें, जहाँ अहंकार हमें घेर ले और हम उनके दर्शन से वंचित रह जाएँ। यह भजन सांसारिक उपलब्धियों से परे, उस सच्चे आध्यात्मिक ज्ञान की बात करता है, जो भक्त को ईश्वर के निकट लाता है।
इसमें वृंदावन की महिमा का भी विशेष रूप से उल्लेख किया गया है। भक्त कहता है कि हमें ऐसी जन्नत भी नहीं चाहिए, जहाँ से हमें हमारे प्रिय कान्हा का धाम, वृंदावन, न दिखाई दे। यह पंक्ति स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि सच्चे भक्त के लिए स्वर्ग से अधिक महत्व वृंदावन की भूमि का है, क्योंकि वहीं कृष्ण की लीलाएँ बसी हैं।
भजन की अंतिम पंक्ति में भक्तिभाव का चरम रूप प्रकट होता है - प्रभु हमारे सामने रहें, पर हमारी आँखें उन्हें देखने में असमर्थ हों। यह भाव अद्वैत भक्ति का प्रतीक है, जो यह दर्शाता है कि प्रभु हर क्षण हमारे साथ होते हैं, लेकिन हमें अपनी सीमाओं के कारण उनका अनुभव नहीं हो पाता।
यह भजन हर भक्त को अहंकार से मुक्त होकर प्रभु प्रेम में रंग जाने की प्रेरणा देता है। यह सिर्फ शब्दों का संकलन नहीं, बल्कि एक आत्मा की गहरी पुकार है, जो प्रभु से उनके सान्निध्य की याचना करती है। इसे सुनने मात्र से मन में एक नई चेतना जाग्रत होती है और भक्त को अपने ईश्वर के प्रति समर्पण का अनुभव होता है। जय श्री कृष्ण!