फूलो और कलियां में बहार आ गई
फूलों और कलियों में बहार आ गई,
देख गौरा तेरी बारात आ गई
फूलों और कलियो में बहार……
शीश पे उनके गंगा की मौरी,
माथे पे उनके चंदा की रोरी,
नन्दी पे भोले की सवारी आ गई,
देख गौरा तेरी बारात आ गई…….
गले भोले के सरपों की माला,
कानों में उनके बिच्छू का बाला,
भाग धतूरे की बौछार हो गई,
देख गौरा तेरी बारात आ गई…….
हाथों में भोले के डमरू का बाजा,
तन पे है उनके भस्मी का जामा,
डोल नगाडों की झंकार हो गई,
देख गौरा तेरी बारात आ गई…….
करके अगवानी नारद जी आये,
देवों को लेके ब्रम्हा भी आये,
भूतों के संग बारात आ गई,
देख गौरा तेरी बारात आ गई……..
श्रेणी : शिव भजन
शिव पार्वती विवाह भजन- फूलों और कलियों में बहार आ गई देख गौरा तेरी बारात आ गई।।
"फूलों और कलियों में बहार आ गई, देख गौरा तेरी बारात आ गई" एक अत्यंत हर्षोल्लास से भरा हुआ भजन है, जो शिव-पार्वती विवाह के पावन अवसर का वर्णन करता है। इस भजन में भक्तों को वह दिव्य दृश्य देखने का अवसर मिलता है जब स्वयं महादेव अपनी अद्भुत बारात के साथ माता पार्वती को ब्याहने के लिए पधारते हैं।
भजन की शुरुआत में प्रकृति का उल्लासमय चित्रण किया गया है—फूल खिल उठे हैं, कलियों में बहार आ गई है, क्योंकि यह शुभ विवाह का दिन है। फिर शिवजी की अनुपम छवि का वर्णन किया गया है—गंगा उनकी जटा में विराजमान हैं, चंद्र उनके मस्तक पर शोभायमान है, और उनका नंदी सवारी के रूप में गर्व से खड़ा है।
शिवजी की अलौकिक बारात किसी राजसी वैभव से नहीं, बल्कि उनके अद्वितीय श्रृंगार से सजी है—गले में सर्पों की माला, कानों में बिच्छू के कुंडल, तन पर भस्म का जामा, और हाथ में डमरू। इस बारात की विशेषता यह है कि इसमें भूत, प्रेत, देवगण, नारद मुनि, और स्वयं ब्रह्मा जी सभी सम्मिलित हैं, जो इस अनुपम विवाह को साक्षी बना रहे हैं।
यह भजन शिव-पार्वती विवाह के पवित्र आयोजन को आनंद और भक्ति के रस में डुबोने वाला है, जिसे सुनकर भक्तजन भोलेनाथ के दिव्य स्वरूप और अनूठे विवाह की छवि को अपने मन-मंदिर में अनुभव कर सकते हैं।