ओ मेरे बांके बिहारी तेरी एक झलक
ओ मेरे बांके बिहारी, तेरी एक झलक,
जब से देखी मेने, मैं तेरा हो गया !
मन ये मेरा नहीं, अब मेरे बस में ,
आज से अभी से ये, तेरा हो गया !!
सिर पे मोर मुकुट, होठो पे हंसी,
पैरो में पायल, हाथो में बंशी !
ओ तेरी सांवली सूरत, तेरी मोहनी मूरत,
जब से देखी मेने मैं, तेरा हो गया !!
ओ मेरे बांके बिहारी, तेरी एक झलक ,
जब से देखी मेने, मैं तेरा हो गया !
मथुरा में भी तू, गोकुल में भी तू,
नंदगाव में तू,बरसाना में तू !
ओ जब से देखा मेने,तुझको वृन्दावन में,
तब से तभी से,मैं तेरा हो गया !!
ओ मेरे बांके बिहारी, तेरी एक झलक,
जब से देखी मेने, मैं तेरा हो गया !
राधा रानी के संग, महारानी के संग,
बरसाने वाली, पटरानी के संग !
ओ जब से देखी मेने, राधेश्याम की जोड़ी ,
तब से मेरा जीवन ये, सफल हो गया !!
ओ मेरे बांके बिहारी, तेरी एक झलक,
जब से देखी मेने, मैं तेरा हो गया !
Ly rics - Jay Prakash Verma, Indore
श्रेणी : कृष्ण भजन
ओ मेरे बांके बिहारी तेरी एक झलक ।। #bankebihari #priyanjaykeshyambhajan #radhe #vrindavan #krishna
"ओ मेरे बांके बिहारी, तेरी एक झलक" एक अत्यंत सुंदर और भावपूर्ण कृष्ण भजन है, जिसे जय प्रकाश वर्मा, इंदौर ने रचा है। इस भजन में श्री कृष्ण की अनुपम छवि, उनकी मोहक मुस्कान और भक्तों पर उनकी कृपा का दिव्य वर्णन किया गया है। यह भजन भक्त के मनोभावों को प्रकट करता है कि कैसे एक बार श्री बांके बिहारी की झलक पाने के बाद उसका पूरा जीवन भगवान के चरणों में समर्पित हो जाता है।
भजन की पंक्तियाँ प्रेम, भक्ति और समर्पण से ओत-प्रोत हैं। श्री कृष्ण के सिर पर मोर मुकुट, होठों पर मनमोहक मुस्कान, पैरों में पायल और हाथों में बंसी का वर्णन उनके बाल रूप की छवि को सजीव कर देता है। जब भक्त ने इस मनोहर रूप के दर्शन किए, तो वह पूरी तरह से श्री कृष्ण का हो गया। इस भजन में मथुरा, गोकुल, नंदगांव, बरसाना और वृंदावन का उल्लेख कर यह दर्शाया गया है कि श्री कृष्ण हर स्थान पर व्याप्त हैं, और जहां-जहां उनके चरण पड़े, वह स्थान पावन हो गया।
राधा रानी और श्री कृष्ण के दिव्य युगल का वर्णन भी इस भजन में किया गया है। जब भक्त ने राधा-कृष्ण की अद्भुत जोड़ी को देखा, तो उसे लगा कि उसका जीवन सफल हो गया। यह भजन प्रेम और भक्ति की उस पराकाष्ठा को दर्शाता है, जहां भक्त स्वयं को भगवान में समर्पित कर देता है। यह सिर्फ एक भजन नहीं, बल्कि एक भक्त का भावनात्मक अनुभव है, जो कृष्ण प्रेम में रंगा हुआ है।
इस भजन को गाते या सुनते समय भक्त को ऐसा प्रतीत होता है मानो वह स्वयं वृंदावन में श्री बांके बिहारी के सम्मुख खड़ा हो और उनकी कृपा दृष्टि का अनुभव कर रहा हो। भावपूर्ण शब्दों और सरल भाषा में रचित यह भजन निश्चित ही हर कृष्ण भक्त के हृदय को गहराई तक स्पर्श करता है।