नाम मिश्री से मीठा मेरी माई का
नाम मिश्री से मीठा मेरी माई का,
नाम मिश्री से, मीठा मेरी माई का।
सारे जग से, ऊँचा दर माई का।
बंदे, कर ले तैयारी, छोड़ दुनिया की यारी,
तेरी, माई से मिलने की बारी...
कि भूल ना, जय हो...
जावीं वे... कि भूल ना, जावीं वे...
नाम मिश्री से, मीठा मेरी माई का।
माँ बिन बच्चे, बिखर जाते हैं,
भाई-बहन सब, भूल जाते हैं।
कोई ना पकड़ता, जय हो...
बाँह, है दुनिया वालियो...
बंदे, कर ले तैयारी, छोड़ दुनिया की यारी,
तेरी, माई से मिलने की बारी...
कि भूल ना, जय हो...
जावीं वे... कि भूल ना, जावीं वे...
नाम मिश्री से, मीठा मेरी माई का।
माँ बिन कोई ना, गोद खिलाए,
रोते को माँ, चुप कराए।
सबसे ऊँची, जय हो...
माँ, है दुनिया वालियो...
बंदे, कर ले तैयारी, छोड़ दुनिया की यारी,
तेरी, माई से मिलने की बारी...
कि भूल ना, जय हो...
जावीं वे... कि भूल ना, जावीं वे...
नाम मिश्री से, मीठा मेरी माई का।
बच्चों के लिए माँ, दुख सहती,
गोदी में उनको, जगह है देती।
लाड़ लड़ाती, जय हो...
माँ, है दुनिया वालियो...
बंदे, कर ले तैयारी, छोड़ दुनिया की यारी,
तेरी, माई से मिलने की बारी...
कि भूल ना, जय हो...
जावीं वे... कि भूल ना, जावीं वे...
नाम मिश्री से, मीठा मेरी माई का।
लोग माँ के, दर पे आते,
माँ से माँगी, मुरादें पाते।
झोली भरती, जय हो...
माँ, है दुनिया वालियो...
बंदे, कर ले तैयारी, छोड़ दुनिया की यारी,
तेरी, माई से मिलने की बारी...
कि भूल ना, जय हो...
जावीं वे... कि भूल ना, जावीं वे...
नाम मिश्री से, मीठा मेरी माई का।
माँ का, मीठा नाम, है दुनिया वालियो...
सबसे, प्यारी माँ, है दुनिया वालियो...
श्रेणी : दुर्गा भजन
असां तेरा लड़ फड़ेया माँ वैष्णो रंग नाम वाला चढ़ेया माँ वैष्णो #maavaishno #bhakti #matarani
"नाम मिश्री से मीठा मेरी माई का" भजन माँ दुर्गा की अनुपम महिमा और उनकी अपार ममता का मधुर गुणगान करता है। इस भजन में माँ की कृपा, वात्सल्य और भक्तों पर उनके प्रेम को अद्भुत शब्दों में संजोया गया है।
भजन की आरंभिक पंक्तियाँ ही माँ के नाम की मिठास को दर्शाती हैं- जिसका नाम ही मिश्री से मीठा है, जो समस्त संसार से ऊपर है, और जिसकी शरण में आकर हर दुख मिट जाता है। माँ के दरबार की महिमा अपार है, जहाँ भक्तों की झोलियाँ भरती हैं और उनकी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।
इस भजन में माँ के बिना जीवन की अधूरी तस्वीर को भी दर्शाया गया है- माँ के बिना बच्चे बिखर जाते हैं, रिश्ते छूट जाते हैं, और कोई सहारा नहीं देता। परंतु माँ ही वह शक्ति हैं जो गोद में स्थान देती हैं, दुख हरती हैं, और अपनी संतान को अपार स्नेह से सँवारती हैं। माँ की कृपा से ही जीवन में सच्चा सुख प्राप्त होता है।
भक्तों के लिए यह भजन माँ से आत्मीय संबंध को महसूस कराने वाला है। यह भक्ति रस में डूबी हुई वह रचना है, जो माँ की असीम करुणा और भक्तों के प्रति उनके अमिट प्रेम को प्रकट करती है। "जय हो माई की" के जयघोष के साथ यह भजन हर भक्त को माँ की भक्ति में लीन कर देता है।