श्री राधे मुझे वृन्दावन आना है
तू सुनले ओ श्री राधे मुझे वृन्दावन आना है,
जो दिल में दर्द है इतना वो तुमको खुद सुनाना है,
मेरे आंसू बता देंगे मेरी तड़पन मेरी राधे,
मैं डूबी प्रेम में तेरे मैं तेरी हूँ मेरी राधे,
तू चरणों में ही रख लेना नहीं अब दूर जाना है,
तू सुनले ओ श्री राधे मुझे वृन्दावन आना है,
जो दिल में दर्द है इतना वो तुमको खुद सुनाना है,
तेरा मुखड़ा निहारूंगी तेरे में खो ही जाउंगी,
रटूँगी राधे श्यामा मैं जब तेरे द्वार आउंगी,
बुला लो ना मुझे जल्दी ये पागल तेरी दीवानी है,
तू सुनले ओ श्री राधे मुझे वृन्दावन आना है,
जो दिल में दर्द है इतना वो तुमको खुद सुनाना है,
मैं पापी हूँ बहुत ज़्यादा मेरे तू पाप हर लेना,
करू सेवा सदा तेरी यही वरदान मुझे देना,
मैं दुनिया की सताई हूँ मुझे तेरा नाम पाना है,
तू सुनले ओ श्री राधे मुझे वृन्दावन आना है,
जो दिल में दर्द है इतना वो तुमको खुद सुनाना है,
श्रेणी : कृष्ण भजन
Krishna Bhajan 2025 | Mujhe Vrindavan Aana Hai | Official Video | Manisha Kashyap | Full HD
"तू सुनले ओ श्री राधे मुझे वृन्दावन आना है" एक अत्यंत भावपूर्ण और हृदयस्पर्शी भजन है, जो श्री राधा रानी की भक्ति में लीन होकर गाया गया है। यह भजन भक्त की गहरी तड़प, प्रेम और समर्पण को दर्शाता है, जिसमें वह अपने मन के समस्त दुख-दर्द को राधे रानी के चरणों में समर्पित कर देना चाहता है। इस भजन में भक्त की व्याकुलता झलकती है, जो श्री वृन्दावन धाम की पावन भूमि पर अपने प्रभु के दर्शन की अभिलाषा रखता है।
भजन के बोल अत्यंत सरल, मधुर और सीधे हृदय को छू लेने वाले हैं। जब गायक कहता है – "जो दिल में दर्द है इतना, वो तुमको खुद सुनाना है," तो यह भावना स्पष्ट होती है कि भक्त अपने सारे दुःख और संघर्षों को केवल श्री राधा रानी के चरणों में रखकर उनसे आशीर्वाद की कामना कर रहा है। यह केवल एक गीत नहीं, बल्कि एक सच्चे प्रेमी का विलाप और एक भक्त की आत्मा की पुकार है।
भजन में आगे बढ़ते हुए, भक्त अपने अश्रुओं और तड़प को ही अपनी अर्जी बना लेता है – "मेरे आंसू बता देंगे मेरी तड़पन मेरी राधे," यह भावनाएं भक्त के सच्चे समर्पण और प्रेम को दर्शाती हैं। यह भजन भक्ति के मार्ग पर चलने वाले प्रत्येक व्यक्ति के हृदय में एक विशेष स्थान बना सकता है, क्योंकि इसमें प्रेम, समर्पण और आत्मा की पुकार का अद्भुत संगम है।
इसके अतिरिक्त, भजन के माध्यम से यह भी प्रकट किया गया है कि संसार की कठिनाइयों से व्यथित व्यक्ति जब प्रभु की शरण में आता है, तो उसे केवल प्रेम और भक्ति का सहारा होता है। "मैं पापी हूँ बहुत ज्यादा, मेरे तू पाप हर लेना," यह पंक्ति इस तथ्य को दर्शाती है कि मनुष्य के सभी दोषों और दुखों को प्रभु अपनी कृपा से दूर कर सकते हैं।
"तू सुनले ओ श्री राधे मुझे वृन्दावन आना है" को सुनकर कोई भी भक्त स्वयं को श्री वृन्दावन धाम के पावन वातावरण में अनुभव कर सकता है। यह भजन केवल एक गान नहीं, बल्कि श्री राधे-कृष्ण की भक्ति में डूबे हृदय की पुकार है, जो प्रभु के चरणों में समर्पित होने को तत्पर है।