मेरे श्याम कोई बात छुपी नहीं तेरे से
मेरे श्याम कोई बात, छुपी नहीं तेरे से,
मन की बाते पढ़ लेता तू, क्या छुपाऊ तेरे से !
खाटू वाले श्याम, तेरे दर पे मैं आया हूँ,
मन की सारी बाते, जुबां तक लाया हूँ !
भूल मत जाना बाबा, अपने इस भगत को,
सारी दुनिया छोड़ी मेने, छोड़ा इस जगत को !!
मेरे श्याम कोई बात, छुपी नहीं तेरे से,
मन की बाते पढ़ लेता तू, क्या छुपाऊ तेरे से !
भगत हूँ मैं तेरा श्याम, मुझको निभा लेना,
भव सागर में फसी नय्या, पार लगा देना !
हारे का सहारा तू, किश्ती का किनारा हैं,
जिसने भी पूजा, तूने उसको उबारा हैं !!
मेरे श्याम कोई बात, छुपी नहीं तेरे से,
मन की बाते पढ़ लेता तू, क्या छुपाऊ तेरे से !
मुरली अधर पे, लब तेरे चूमे हैं,
भक्त खड़े द्वार, तेरी भक्ति में झूमे हैं !
खाली हाथ कैसे बाबा, जाऊ तेरे दर से,
आस लेके निकला बाबा, मैं तो अपने घर से !!
मेरे श्याम कोई बात, छुपी नहीं तेरे से,
मन की बाते पढ़ लेता तू, क्या छुपाऊ तेरे से !
खाते हो तुम खीर चूरमा, लीले ऊपर घूमते हो,
अपने भक्तो को बाबा, कभी नहीं भूलते हो !
भगतो की झोली बाबा, भर दो अपनी भक्ति से,
संकट सारे दूर कर दो, बाबा अपनी शक्ति से !!
मेरे श्याम कोई बात, छुपी नहीं तेरे से,
मन की बाते पढ़ लेता तू, क्या छुपाऊ तेरे से !
Lyri cs- Jay Prakash Verma, Indore
श्रेणी : खाटू श्याम भजन
मेरे श्याम कोई बात छुपी नहीं तेरे से ।। #shyam #khatushyam #shyambhajan #priyanjaykeshyambhajan
"मेरे श्याम कोई बात, छुपी नहीं तेरे से" – यह भजन हर उस भक्त की भावना को शब्द देता है, जो अपने आराध्य श्याम बाबा के चरणों में समर्पित हो जाता है। इसे जय प्रकाश वर्मा, इंदौर ने बड़े भावपूर्ण तरीके से रचा है, जिसमें भक्त की श्रद्धा, प्रेम और समर्पण झलकता है।
इस भजन में भक्त श्याम बाबा से अपने मन की बात कहता है, उसे यकीन है कि बाबा उसके दिल की हर भावना को बिना कहे ही समझ सकते हैं। खाटू वाले श्याम के दरबार में आकर वह अपनी हर पीड़ा, हर आशा, और हर अरदास रख देता है।
भजन की सबसे खास बात यह है कि इसमें भक्त और भगवान का अटूट रिश्ता साफ झलकता है। "हारे का सहारा तू, किश्ती का किनारा है" जैसी पंक्तियाँ श्याम बाबा की कृपा और उनकी असीम दयालुता को दर्शाती हैं। हर पंक्ति में एक गहरी भक्ति भावना छुपी है, जो सुनने वाले के दिल को छू लेती है।