मेहंदी गोरजा ने लाई होई ए
मेहंदी गौरा ने लगाई हुई है
मेहंदी, गौरा ने, लगाई हुई है,
जनज, भोले जी की, आई हुई है ll
क्या है, भोले की निशानी,
गले में सर्पों की माला ll
शरीर पर, भस्म रमाई हुई है,
जनज, भोले जी की, आई हुई है l
मेहंदी, गौरा ने...
देखो, भोले के, बाराती,
ना कोई घोड़ा, ना कोई हाथी ll
ऐसी, रौनक, लगाई हुई है,
जनज, भोले जी की, आई हुई है l
मेहंदी, गौरा ने...
जो है, गौरा मां का, स्वामी,
वह तो, है अंतर्यामी ll
गौरा, फूलों से, सजाई हुई है,
जनज, भोले जी की, आई हुई है l
मेहंदी, गौरा ने...
वह तो, कैलाश का वासी,
वह तो, घट-घट का वासी ll
भंग, सबको, पिलाई हुई है,
जनज, भोले जी की, आई हुई है l
मेहंदी, गौरा ने...
अपलोडर- अनिलरामूर्तिभोपाल
श्रेणी : शिव भजन
शिव विवाह | मेहंदी गोरजा ने लाई होई ए जज भोलेजी दी आई होई ए #lyrics
"मेहंदी गौरा ने लगाई हुई है" भजन शिव-पार्वती विवाह की अलौकिक भव्यता को अद्भुत रूप से प्रस्तुत करता है। इस भजन में गौरा माँ की सुंदरता और भोलेनाथ की अनोखी बारात का दिव्य वर्णन किया गया है, जिसमें भक्तिमय भावनाओं की गहराई स्पष्ट झलकती है।
भजन के प्रत्येक शब्द में शिव विवाह की महिमा बसती है। गौरा माता ने अपने हाथों में मेहंदी रचाई है, और भोलेनाथ की बारात आने को है। लेकिन यह कोई साधारण बारात नहीं, बल्कि अद्भुत अलौकिक दृश्य है—जहाँ न कोई घोड़ा है, न हाथी, बल्कि देवता, योगी, भूत-प्रेत, गण और शिवगण इस बारात की शोभा बढ़ा रहे हैं। भोलेनाथ का श्रृंगार भी निराला है—गले में सर्पों की माला, शरीर पर भस्म, और चितवन में अपार प्रेम।
गौरा माता को फूलों से सजाया गया है, और शिव कैलाश के वासी, अंतर्यामी, घट-घट के रहने वाले हैं। इस शुभ विवाह के आनंद में हर कोई मग्न है, शिवभक्तों के बीच भक्ति और उल्लास की लहर दौड़ रही है। शिव की भंग का रंग हर किसी को भक्ति रस में सराबोर कर देता है।
"हर हर महादेव" के जयघोष के साथ यह भजन शिव विवाह की अनुपम छवि प्रस्तुत करता है, जो हर शिवभक्त को आध्यात्मिक आनंद से भर देता है। यह भजन विशेष रूप से महाशिवरात्रि और शिव विवाह उत्सव के अवसर पर सुनने योग्य है, जो भक्तों को शिवमय बना देता है।