कैसा रंग लगाया सांवरिया ने
राधा होरी खेलें आज, राधा होरी खेलें आज,
राधा होरी खेलें आज, राधा होरी खेलें आज।
मधुबन में आज रंग खिला है,
कान्हा झूमें साथ...
ओ ओ ओ...
कैसा रंग लगाया सांवरिया ने,
कैसा रंग लगाया...
ऐसा रंग ओ राधे-कान्हा, ऐसा रंग लगाना,
ऐसा रंग लगाना ओ श्यामा मेरे, ऐसा रंग लगाना।
पूरा मधुबन, पूरा मधुबन, पूरा मधुबन,
खेले आज होली, ऐसा रंग लगाना।
पकड़े बैयां राधा जू की,
ऐसे छेड़े आज,
रंगों की पूरी बारिश,
कर दियो मोहन आज।
मधुबन रंग गयो आज...
मधुबन रंग गयो आज...
सांवरिया तेरो होली से,
मधुबन रंग गयो आज।
कैसा रंग लगाया सांवरिया ने,
कैसा रंग लगाया...
ऐसा रंग ओ राधे-कान्हा, ऐसा रंग लगाना,
ऐसा रंग लगाना ओ श्यामा मेरे, ऐसा रंग लगाना।
पूरा मधुबन, पूरा मधुबन, पूरा मधुबन,
खेले आज होली, ऐसा रंग लगाना।
श्रेणी : कृष्ण भजन
Kesa Rang Lagayo Kanha
ब्रज में होली कोई साधारण पर्व नहीं, बल्कि एक अलौकिक प्रेम की अनुभूति है, जहाँ राधा-कृष्ण के रंग में पूरा मधुबन डूब जाता है। "राधा होरी खेलें आज"—इस भजन की हर पंक्ति हमें उस दिव्य होली में सम्मिलित कर देती है, जहाँ कान्हा और राधा एक-दूसरे को रंगों से सराबोर कर रहे हैं।
"मधुबन में आज रंग खिला है, कान्हा झूमें साथ..."
यह पंक्ति कृष्ण की चपलता और आनंद की झलक दिखाती है। मधुबन के कोने-कोने में प्रेम का रंग बिखरा हुआ है, और स्वयं श्रीकृष्ण अपनी प्रिया संग झूमते-गाते होली का आनंद ले रहे हैं।
"कैसा रंग लगाया सांवरिया ने, कैसा रंग लगाया..."
श्यामसुंदर के रंगों की महिमा अपरंपार है। यह केवल गुलाल या अबीर का रंग नहीं, बल्कि प्रेम, भक्ति और आध्यात्मिकता का रंग है, जो तन-मन दोनों को रंग देता है।
"ऐसा रंग ओ राधे-कान्हा, ऐसा रंग लगाना..."
भक्तों की यह अभिलाषा है कि राधा-कृष्ण का यह दिव्य प्रेमरंग हर किसी पर चढ़ जाए। यह रंग केवल बाहरी नहीं, बल्कि हृदय की गहराइयों तक उतर जाने वाला है।
"पूरा मधुबन, पूरा मधुबन, पूरा मधुबन, खेले आज होली..."
इस पंक्ति से ब्रज की होली की धूम-धाम स्पष्ट झलकती है। पूरा मधुबन, जहाँ कभी कान्हा ने मुरली बजाई थी, आज उनके प्रेम के रंगों से सराबोर है।
"पकड़े बैयां राधा जू की, ऐसे छेड़े आज..."
इस भजन में श्रीकृष्ण की चंचलता भी झलकती है, जब वे अपनी प्रिय राधा का हाथ पकड़कर प्रेमभरी छेड़छाड़ कर रहे हैं। कान्हा की यह शरारत, यह लीला, प्रेम की सजीव अभिव्यक्ति है।
"सांवरिया तेरो होली से, मधुबन रंग गयो आज..."
आखिरकार, इस भजन का सार यही है कि जब स्वयं कृष्ण होली खेलें, तो पूरा मधुबन उनके प्रेम और रंगों में रंग जाता है। यह केवल भक्ति का उत्सव नहीं, बल्कि आत्मा को परमात्मा से जोड़ने का पर्व है।
"ऐसी होली हम सब खेलें, जहाँ केवल रंग ही नहीं, बल्कि राधा-कृष्ण के प्रेमरस की वर्षा भी हो।" 💛🎨