होली होगी हमारी तुम्हारी
कहां जाओगे बांके बिहारी,
होली होगी हमारी तुम्हारी ।
आगे आगे हैं बांके बिहारी,
पीछे पीछे है राधा गोरी ।
जाने दूंगी ना तुमको मुरारी,
होली होगी हमारी तुम्हारी ॥
इक तरफ तो है राधा की टोली,
दूजी और तो काहना की टोली ।
यहाँ दो दो चलेंगी पिचकारी,
होली होगी हमारी तुम्हारी ॥
गर भागोगे जाने ना दूंगी,
गलिओं में तुम्हे घेर लुंगी ।
तेरे गुल्चे पे मारू पिचकारी,
होली होगी हमारी तुम्हारी ॥
पीताम्बर तेरा छीन लुंगी,
साड़ी मैं तुझे पह्नाउंगी ।
तुझे नर से बना दूंगी नारी,
होली होगी हमारी तुम्हारी ॥
श्रेणी : कृष्ण भजन
Alka Goyal New Bhajan _ Kaha Jaoge Banke Bihari _ कहाँ जाओगे बांके बिहारी _Krishna Song
"कहाँ जाओगे बांके बिहारी" एक मधुर और हृदय को आनंदित करने वाला होली भजन है, जिसमें कान्हा और राधा की होली की अलौकिक छटा का सुंदर वर्णन किया गया है। इस भजन में कृष्ण और राधा की छेड़छाड़ भरी होली का अद्भुत चित्रण किया गया है, जहाँ राधा जी प्रेमपूर्वक कान्हा को रोकते हुए कहती हैं कि होली तो हमारी और तुम्हारी साथ ही खेली जाएगी।
भजन के बोल बड़े ही सजीव और रोचक हैं - एक ओर जहाँ कान्हा आगे-आगे हैं, वहीं राधा जी पीछे-पीछे उन्हें पकड़ने का प्रयास कर रही हैं। गोकुल की गलियों में खेली जाने वाली होली का यह दृश्य भक्तों के मन में एक आनंदमयी अनुभूति उत्पन्न करता है। यहाँ दोनों ओर से पिचकारियों की बौछार चल रही है—एक तरफ राधा जी की टोली और दूसरी ओर कृष्ण जी की।
भजन का सबसे मनमोहक भाग तब आता है जब राधा जी कान्हा से कहती हैं कि अगर वे भागने की कोशिश करेंगे तो वे उन्हें गलियों में घेर लेंगी और उनके ऊपर गुलाल भरी पिचकारी छोड़ेंगी। भजन के अंतिम चरण में, राधा जी प्रेम में ठिठोली करती हुई कहती हैं कि वह कृष्ण का पीतांबर छीनकर उन्हें साड़ी पहना देंगी, और नर से नारी बना देंगी—जो कि वृंदावन की होली के उस हास्य और प्रेममयी भाव को दर्शाता है, जो भक्तों के मन को आनंद से भर देता है।
इस भजन को अल्का गोयल जी ने अपनी मधुर आवाज़ में गाया है, जिससे इसकी सुंदरता और भी बढ़ जाती है। यह भजन न केवल कान्हा की होली को जीवंत करता है, बल्कि भक्तों को इस दिव्य उत्सव की अनुभूति भी कराता है।