होली के बहाने आया वो मेरे पास
होली के बहाने आया वो मेरे पास,
रंग गया अपने रंग में, वो मुझको सखी आज,
अरे रंग गया अपने रंग में, वो मुझको सखी आज,
श्याम का रंग मुझपे ऐसा चढ़ा हैं,
जहा भी देखु बस वो ही खड़ा हैं,
उसकी प्यारी बाते सताए दिन और रात,
रंग गया अपने रंग में, वो मुझको सखी आज,
अरे रंग गया अपने रंग में, वो मुझको सखी आज,
कुछ तो बताओ सखी कहा वो मिलेगा,
उससे मिले बिना दिल ना लगेगा,
सखी तुम ही जा के कह दो, मेरे दिल की सारी बात,
रंग गया अपने रंग में, वो मुझको सखी आज,
अरे रंग गया अपने रंग में, वो मुझको सखी आज,
मथुरा में ढूंढू या ढूंढू वृन्दावन में,
गोकुल में ढूंढू या ढूंढू नन्द गांव में,
कहा मिलेगा मुझको, कोई तो बता दो राज,
रंग गया अपने रंग में, वो मुझको सखी आज,
अरे रंग गया अपने रंग में, वो मुझको सखी आज,
होली के बहाने आया वो मेरे पास,
रंग गया अपने रंग में वो मुझको सखी आज,
अरे रंग गया अपने रंग में वो मुझको सखी आज,
Lyrics - Jay Prakash Verma, Indore
श्रेणी : कृष्ण भजन
होली के बहाने आया वो मेरे पास ।। श्री राधा कृष्ण होली भजन ।।#priyanjaykeshyambhajan #holi2025 #holi
यह भजन "होली के बहाने आया वो मेरे पास" एक अद्भुत कृष्ण भक्ति रचना है, जिसमें होली के आनंद और प्रेम की गहराई को बड़ी सुंदरता से व्यक्त किया गया है। यह भजन श्रीकृष्ण और राधा जी के प्रेम को दर्शाता है, जहाँ सखी अपने मन की व्यथा कह रही है कि कान्हा ने उसे अपने रंग में रंग दिया है। कान्हा की छवि उसके मन में इस प्रकार बस गई है कि अब उसे हर जगह वही दिखाई देते हैं।
इस भजन के बोल भावनाओं से ओत-प्रोत हैं, जो कृष्ण प्रेमियों के हृदय को छू लेते हैं। जब सखी कहती है – "जहां भी देखूं बस वो ही खड़ा है," तब यह एहसास होता है कि भक्त का मन पूरी तरह से श्रीकृष्ण में लीन हो चुका है। प्रेम में बंधी यह सखी अपने प्रियतम की खोज में मथुरा, वृंदावन, गोकुल, नंदगांव तक भटक रही है, लेकिन उसके मन की तड़प वहीं बनी रहती है।
इस भजन को जय प्रकाश वर्मा, इंदौर द्वारा लिखा गया है, जिन्होंने बड़ी सरलता से कृष्ण भक्ति और होली के रंगों का समावेश इस रचना में किया है। होली का यह भजन राधा-कृष्ण के अलौकिक प्रेम और भक्त के उनके प्रति समर्पण को दर्शाता है। इसे गाकर भक्तजन होली के पर्व का आनंद लेते हुए कृष्ण प्रेम में डूब सकते हैं।