ग्यारस के दिन तुलसा ना तोड़ो
ग्यारस के दिन तुलसा ना तोड़ो,
हरि के चरण कभी मत छोड़ो.....
मात पिता और प्रभु हमारे,
यह तीनों हे पालनहारे,
इनकी सेवा कभी ना छोड़ो
प्रभु के चरण कभी मत छोड़ो....
तेरी मेरी निशदिन करता,
दुजे का सुख देखते जलता,
बुरी है आदत इसको छोड़ो
हरि के चरण कभी मत छोड़ो.....
धर्म-कर्म और ज्ञान की बातें,
यह सब जीवन सुखी बनाते,
सतसंगत से नाता जोड़ो
हरि के चरण कभी मत छोड़ो......
जैसी करनी वैसा फल है,
आज नहीं तो निश्चित कल है,
शुभ कर्मों से नाता जोड़ो
हरि के चरण कभी मत छोड़ो.....
श्रेणी : विविध भजन
ग्यारस भजन | ग्यारस के दिन तुलसा ना तोड़ो हरि के चरण कभी मत छोड़ो | Gyaras Bhajan | Komal Gouri
"ग्यारस के दिन तुलसा ना तोड़ो, हरि के चरण कभी मत छोड़ो" एक अत्यंत शिक्षाप्रद और भक्तिमय भजन है, जिसे कोमल गौरी ने अपनी मधुर आवाज़ में प्रस्तुत किया है। यह भजन केवल भक्ति का संदेश नहीं देता, बल्कि जीवन के मूल्यों और नैतिकता को भी उजागर करता है। इसमें हिंदू परंपराओं, सत्संग, धर्म-कर्म और प्रभु भक्ति का महत्व बड़े ही सुंदर और सरल शब्दों में बताया गया है।
भजन की पहली पंक्ति – "ग्यारस के दिन तुलसा ना तोड़ो, हरि के चरण कभी मत छोड़ो..." – हमें यह सिखाती है कि धार्मिक नियमों का पालन करना आवश्यक है। ग्यारस (एकादशी) का दिन भगवान विष्णु की आराधना के लिए विशेष माना जाता है, और इस दिन तुलसी के पत्ते नहीं तोड़े जाते। यह एक धार्मिक अनुशासन है, जो भक्तों को संयम और श्रद्धा का संदेश देता है।
आगे की पंक्तियाँ – "मात पिता और प्रभु हमारे, यह तीनों हैं पालनहारे..." – हमें माता-पिता और भगवान के प्रति अपनी निष्ठा बनाए रखने की सीख देती हैं। जीवन में सफलता और सुख की प्राप्ति के लिए माता-पिता और प्रभु की सेवा करना अनिवार्य बताया गया है।
भजन का अगला भाग "तेरी मेरी निशदिन करता, दुजे का सुख देखते जलता..." यह इंगित करता है कि ईर्ष्या और द्वेष मानव जीवन के लिए हानिकारक हैं। हमें इन बुरी आदतों को त्यागकर हरि भक्ति के मार्ग पर चलना चाहिए। इसी तरह, "धर्म-कर्म और ज्ञान की बातें, यह सब जीवन सुखी बनाते..." यह बताता है कि जीवन को सार्थक और सुखद बनाने के लिए सत्संग, धर्म और अच्छे कर्मों से जुड़ना आवश्यक है।
अंत में, "जैसी करनी वैसा फल है, आज नहीं तो निश्चित कल है..." यह कर्मफल के सिद्धांत को स्पष्ट करता है। हर व्यक्ति को अपने कर्मों के अनुसार फल मिलता है, चाहे वह अच्छा हो या बुरा। इसलिए, हमें शुभ कर्मों से जुड़कर भगवान के चरणों में अपने मन को समर्पित करना चाहिए।
यह भजन केवल एक धार्मिक गीत नहीं, बल्कि जीवन जीने की सही राह दिखाने वाला संदेश है, जो हर भक्त को आत्मचिंतन और प्रभु भक्ति की ओर प्रेरित करता है।