दुल्हा बने हैं भोलेनाथ, dulha bane hain bholenath jodi ka jawab nahi

दुल्हा बने हैं भोलेनाथ जोड़ी का जवाब नहीं



दूल्हा बने हैं भोलेनाथ

दूल्हा, बने हैं, भोलेनाथ,
जोड़ी का, जवाब नहीं ll
जोड़ी का, जवाब नहीं, ll
दूल्हा, बने हैं, भोलेनाथ...

गौरां, मेरी, महलों वाली ll
पर्वत पे, वस्ते, भोलेनाथ,
जोड़ी का, जवाब नहीं l
दूल्हा, बने हैं, भोलेनाथ...

गौरां, मेरी, गोरी गोरी ll
श्याम, वर्ण, भोलेनाथ,
जोड़ी का, जवाब नहीं l
दूल्हा, बने हैं, भोलेनाथ...

गौरां, खावे, लड्डू पेड़ा ll
भांग, पीवे, भांग, भोलेनाथ,
जोड़ी का, जवाब नहीं l
दूल्हा, बने हैं, भोलेनाथ...

गौरां, ओढे, लाल चुनरिया ll
बाघंबर, ओढ़े, भोले नाथ,
जोड़ी का, जवाब नहीं l
दूल्हा, बने हैं, भोलेनाथ...

गौरां, करती, सोलह श्रृंगार ll
भोले के, गले में, सरप हार,
जोड़ी का, जवाब नहीं l
दूल्हा, बने हैं, भोलेनाथ...

गौरां, पहने, बजनी पयलिया ll
घुंघरू, पहने हैं, भोले नाथ,
जोड़ी का, जवाब नहीं l
दूल्हा, बने हैं, भोलेनाथ...

गौरां, के दर बाजे, ढोल छैने ll
डमरु, बजावे, भोले नाथ,
जोड़ी का, जवाब नहीं l
दूल्हा, बने हैं, भोलेनाथ...

गौरां, मेरी, डोली में बैठीं ll
नंदी, पे बैठे, भोलेनाथ,
जोड़ी का, जवाब नहीं l
दूल्हा, बने हैं, भोलेनाथ...



श्रेणी : शिव भजन



भोले भजन || दुल्हा बने भोलेनाथ जोड़ी का जवाब नहीं || Dulha bane bholenath jodi ka jawab nhi

"दूल्हा बने हैं भोलेनाथ" भजन में भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह का अत्यंत मनमोहक और भक्तिमय वर्णन किया गया है। यह भजन शिव-पार्वती की अनुपम जोड़ी की महिमा को दर्शाता है, जो अपने आप में अद्वितीय और अविस्मरणीय है।

भजन में माता गौरा और भोलेनाथ के व्यक्तित्व और स्वरूप का सुंदर चित्रण किया गया है—जहाँ माता पार्वती सोलह श्रृंगार से सजी हैं, वहीं भोलेनाथ अपने सरल और तपस्वी रूप में हैं। एक ओर माता गौरा लाल चुनरिया ओढ़े, सोने-चाँदी के आभूषणों से सुसज्जित हैं, तो दूसरी ओर भोलेनाथ बाघंबर धारण किए, गले में नागों की माला पहने, भस्म रमाए हुए हैं।

इस विवाह में दोनों के स्वभाव और जीवनशैली का विरोधाभास भी उजागर किया गया है—जहाँ माता गौरा मिठाइयाँ खाती हैं, वहीं भोलेनाथ भांग का आनंद लेते हैं। माता पार्वती के महलों में रहने और भोलेनाथ के कैलाशवासी होने का उल्लेख भजन को और भी रोचक बना देता है।

शिव-पार्वती के विवाह की शोभा इस भजन में जीवंत प्रतीत होती है। ढोल-नगाड़ों की गूँज, शिवगणों का नृत्य, नंदी पर सवार भोलेनाथ और डोली में बैठी माता गौरा—यह भक्ति-रस में डूबी हुई पावन छवि भक्तों के हृदय में श्रद्धा और प्रेम का संचार कर देती है।

यह भजन केवल एक विवाह की कथा नहीं, बल्कि शिव और शक्ति के दिव्य मिलन का उत्सव है, जो संपूर्ण ब्रह्मांड के संतुलन और सृजन का आधार है। हर हर महादेव! 🚩🙏

Harshit Jain

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