दाती दा सजेया ऐ दरबार
दाती का, सजा है दरबार, जी बधाई होवे।
दाती की, बोलो जय जयकार, जी बधाई होवे।
देवूं मैं, बधाई सौ-सौ बार, जी बधाई होवे।
फूलों की, छाई है बहार, जी बधाई होवे।
पहली बधाई गौरी, नंदन को होवे।
जिन्होंने, पूर्ण किए काज, जी बधाई होवे।
दाती का, सजा है दरबार...
फिर बधाई ब्रह्मा, विष्णु को होवे।
जिन्होंने, रचा यह संसार, जी बधाई होवे।
दाती का, सजा है दरबार...
फिर बधाई गौरी, शंकर को होवे।
जिनका, डमरू बजे आज, जी बधाई होवे।
दाती का, सजा है दरबार...
फिर बधाई सीता, राम को होवे।
जिनका, पाया नहीं पार, जी बधाई होवे।
दाती का, सजा है दरबार...
फिर बधाई राधे, श्याम को होवे।
जिनकी, बंसी बजे आज, जी बधाई होवे।
दाती का, सजा है दरबार...
फिर बधाई शेरों, वाली को होवे।
जोतें, जगाई श्रद्धा से, जी बधाई होवे।
दाती का, सजा है दरबार...
फिर बधाई लंगर, वीर को होवे।
माता का, सच्चा सेवक, जी बधाई होवे।
दाती का, सजा है दरबार...
फिर बधाई मेरे, सतगुरु को होवे।
जिनका, पाया आशीर्वाद, जी बधाई होवे।
दाती का, सजा है दरबार...
फिर बधाई सारे, देवताओं को होवे।
जिन्होंने, की जय जयकार, जी बधाई होवे।
दाती का, सजा है दरबार...
फिर बधाई घर, वालों को होवे।
कीर्तन, कराया श्रद्धा से, जी बधाई होवे।
दाती का, सजा है दरबार...
फिर बधाई सारी, संगत को होवे।
जिन्होंने, गाया मंगलाचार, जी बधाई होवे।
दाती का, सजा है दरबार...
देकर बधाई संगतें, घरों को चलीं।
सुखी, बसे यह परिवार, जी बधाई होवे।
दाती का, सजा है दरबार...
श्रेणी : दुर्गा भजन
माता दा सजेया ऐ दरबार नी बधाई होवे🙏
"दाती का सजा है दरबार" भजन माँ भगवती की महिमा का भव्य वर्णन करता है और भक्तों के उत्साह व श्रद्धा का प्रतीक है। यह भजन भक्तों की श्रद्धा, आस्था और भक्ति भाव को प्रकट करते हुए माँ के दरबार की भव्यता को दर्शाता है।
भजन के आरंभ में माँ के दरबार की सुंदरता और दिव्यता को दर्शाया गया है, जहाँ फूलों की बहार छाई हुई है और चारों ओर बधाइयों की गूँज है। यह केवल एक भजन नहीं, बल्कि माँ भगवती की कृपा के लिए कृतज्ञता प्रकट करने का माध्यम भी है।
हर पंक्ति में अलग-अलग देवताओं को बधाई दी गई है—पहली बधाई गणेश जी को, जो विघ्नहर्ता हैं और सभी कार्यों को सिद्ध करने वाले हैं। फिर ब्रह्मा, विष्णु, और महेश को बधाई दी जाती है, जिन्होंने सृष्टि की रचना, पालन और संहार का दायित्व संभाला है। इसके बाद भगवान राम-सीता, राधा-कृष्ण, और शेरोंवाली माता को भी बधाई दी जाती है, जो भक्तों की मनोकामनाओं को पूरा करती हैं।
भजन में लंगर वीर, सतगुरु, और समस्त देवताओं को भी बधाइयाँ दी गई हैं, जो माँ भगवती की सेवा और भक्ति में रत रहते हैं। अंत में, सभी भक्तों और संगत को बधाई देते हुए सुख-समृद्धि की कामना की जाती है।
यह भजन भक्ति रस से परिपूर्ण है और विशेष रूप से नवरात्रि, दुर्गा पूजन, या किसी शुभ अवसर पर माँ भगवती के दरबार में कीर्तन के रूप में गाने योग्य है। "दाती का सजा है दरबार" भजन माँ के प्रति श्रद्धा और उनकी कृपा के प्रति आभार प्रकट करने का अनुपम माध्यम है, जो हर भक्त को माँ की भक्ति में लीन कर देता है।
जय माता दी!