दरबार तेरा बाबा अब घर में लगाना है
तर्ज - तेरा दर तो हकीकत में दुखियों का ठिकाना है
कभी घर आना तुम बाबा यह घर तो तुम्हारा है,
जितना तुमसे कहूं बाबा तुमको लगता बहाना है,
दरबार तेरा बाबा अब घर में लगाना है...
रूठी मुझे किस्मत है,
गर्दिश में ये सितारे हैं...x2
अब बात रखो बाबा हमे तेरा सहारा हैं,
दरबार तेरा बाबा अब घर में लगाना है...
टूटी फूटी एक कुटिया है,
तेरे आने पर सजाई है...x2
अब देर ना करो बाबा भक्तों ने पुकारा है,
दरबार तेरा बाबा अब घर में लगाना है...
खोटा ये सिक्का है
तूने उसको चलाया है 2
"लकी" ने बाबा तेरा प्यार को पाया हैं
दरबार तेरा बाबा अब घर में लगाना है
Lyr ics - lucky Shukla
श्रेणी : शिव भजन

यह भजन बाबा श्याम के प्रति एक भक्त की अटूट श्रद्धा और प्रेम को दर्शाता है। इसमें भक्त अपने आराध्य को सादर आमंत्रित कर रहा है और विनम्रता से कह रहा है कि उसका घर वास्तव में बाबा का ही घर है। वह बाबा से आग्रह कर रहा है कि वे उसकी पुकार सुनें और उसके घर को अपने दरबार में परिवर्तित करें।
भजन की शुरुआत में भक्त अपने भावों को व्यक्त करता है कि जब भी वह बाबा को अपने घर आने के लिए कहता है, तो ऐसा लगता है जैसे बाबा इसे बहाना समझते हैं। लेकिन वह अपने मन की गहराइयों से चाहता है कि बाबा का दरबार अब उसके घर में सजे और उनकी कृपा उस पर बरसे। इसके बाद, वह अपने जीवन की कठिनाइयों का वर्णन करता है—भाग्य उससे रूठा हुआ है और सितारे गर्दिश में हैं, मगर उसे विश्वास है कि बाबा का सहारा उसे इन विपत्तियों से बाहर निकाल सकता है।
भजन में आगे वर्णन किया गया है कि भक्त का घर एक टूटी-फूटी कुटिया के समान है, जिसे उसने अपने आराध्य के स्वागत के लिए सजा रखा है। वह बाबा से आग्रह करता है कि अब देर न करें, क्योंकि उनके भक्त उनकी राह देख रहे हैं। भजन का अंतिम भाग और भी मार्मिक है, जहाँ भक्त स्वयं को एक 'खोटे सिक्के' के रूप में देखता है, लेकिन उसे भरोसा है कि बाबा ने हमेशा अपने प्रेम से सबको स्वीकार किया है।
इस भजन को भावपूर्ण तरीके से लिखा गया है, जिसमें एक सच्चे भक्त की आस्था, समर्पण और विनम्रता झलकती है। भजनकार ने सरल और सुंदर शब्दों में बाबा श्याम के प्रति अपनी भक्ति को व्यक्त किया है, जिससे यह हर श्रद्धालु के हृदय को छू जाता है।