बुलावे म्हारो सांवरो
आयो रे आयो देखो फागण मेलो,
खाटू में बैठ्यो बाबो मारे है हेलो,
बाबुल उडीके सारा टाबरा को गेलो,
खाटू माहि बैठ्यो बाबो मारे है हेलो,
बेगा बेगा चालो रे बुलावे म्हारो सांवरो,
भक्तां के ताई बाबो न्युतो भिजवायो,
खाटू की नगरी माहि मेलो लगवायो,
सबने रंगने की बाबो कर राख्यो तैयारी,,
फागुन को रसियो है सांवरो बिहारी,
कोयलिया बोले बैठी अमवा की डाली,
आयी फगुनिया की रुत या निराली,
लेके निशान हाथ में चालो खाटू चालो,
गोलू उडीके म्हाने म्हारो खाटूवालो,
श्रेणी : खाटू श्याम भजन
Fagun Mela Bhajan | Bulawe Mharo Sanwaro | बुलावे म्हारो सांवरो | | Shyam Bhajan | Namrata Karwa
फागुन का महीना आते ही खाटू नगरी में भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ता है। यह भजन "आयो रे आयो देखो फागण मेलो" उसी भक्ति और उल्लास को दर्शाता है, जिसमें श्याम प्रेमियों का खाटू में जुटना, निशान लेकर दौड़ना और भक्ति में रंग जाना शामिल है। इस भजन को मधुर स्वर में गाया है नम्रता करवा ने, जो अपनी भक्ति-भावना से इसे और भी दिव्य बना देती हैं।
भजन में खाटू के राजा को फागुन मेले का न्योता भेजने की बात कही गई है। "खाटू में बैठ्यो बाबो मारे है हेलो" यह पंक्ति जैसे भक्तों को पुकार रही हो कि जल्दी से जल्दी अपने सांवरे के दरबार में हाज़िरी लगाएं। आगे भजन में कोयल की मधुर वाणी, अमवा की डालियों पर बसंत का सुहाना नज़ारा और निशान लेकर खाटू जाने की बात कही गई है, जिससे यह भजन एक मनमोहक छवि प्रस्तुत करता है।
खाटू श्याम के इस फागुन भजन में भक्ति, प्रेम और उल्लास का अनोखा संगम देखने को मिलता है। जैसे ही भजन की धुन बजती है, मन भाव-विभोर हो उठता है और तन-मन केवल खाटू के दरबार की ओर खिंचने लगता है। यह भजन न केवल सुनने में मधुर है, बल्कि हर श्याम प्रेमी के हृदय को भक्ति रस में डुबो देता है।