aaj saje hain mere ghar k dware aaj vinayak mere aangan padhare

आज सजे हैं मेरे घर के द्वारे



आज सजे हैं मेरे घर के द्वारे,
आज विनायक मेरे आँगन पधारे
स्वागत तुम्हारा हे गणराजा,
जागे हैं भाग हमारे

पूरे बरस राह हमने तकि,
तब आज आई है ये शुभ घडी
चारों तरफ रोशनी है सजी
आसान बिछाया बड़े चाव से,
मंदिर सजाया बड़े भाव से
जिसमे जले धूप-दीप-आरती ||1||

आज सजे हैं मेरे घर के द्वारे,
आज विनायक मेरे आँगन पधारे

अद्भुत तेरा रूप है गजवदन,
दर्शन किये थे भरे ना नयन
जी चाहे पल पल निहारा करूँ
सिंदूरी टीके से जगमग है भाल,
कानों में कुण्डल नयन दो विशाल
सुमिरन सदा मैं तुम्हारा करूँ ||2||

आज सजे हैं मेरे घर के द्वारे,
आज विनायक मेरे आँगन पधारे
जय हे चतुर्भुज तुम्हारी दया,
जिसको मिली धन्य वो हो गया
जीवन में उसके रही ना तरस
इतना की बस मांगे वरदान हम,
करते रहें तेरा गुणगान हम
सेवा का अवसर मिले हर बरस ||3||

आज सजे हैं मेरे घर के द्वारे,
आज विनायक मेरे आँगन पधारे
स्वागत तुम्हारा हे गणराजा,
जागे हैं भाग हमारे



श्रेणी : गणेश भजन



Aaj Saje Hai Mere Ghar Ke

"आज सजे हैं मेरे घर के द्वारे" भजन भगवान गणेश के स्वागत और उनकी महिमा का सुंदर वर्णन करता है। इस भजन में भक्तों की उस उत्सुकता और श्रद्धा को दर्शाया गया है, जो वे गणपति के आगमन पर अनुभव करते हैं।

भजन की शुरुआत में भक्त यह बताते हैं कि उनके घर के द्वार आज विशेष रूप से सजे हुए हैं क्योंकि स्वयं श्री गणेश उनके आँगन में पधारे हैं। यह क्षण उनके लिए अत्यंत सौभाग्यशाली है, क्योंकि इतने लंबे समय के इंतजार के बाद यह शुभ घड़ी आई है।

आगे भजन में बताया गया है कि घर को बड़े चाव और भाव से सजाया गया है, मंदिर में धूप, दीप और आरती का प्रकाश फैला हुआ है, और गणपति के स्वागत के लिए प्रेम और भक्ति का संकल्प लिया गया है।

गणपति के अद्भुत स्वरूप का भी सुंदर वर्णन किया गया है—उनका गजवदन (हाथी का मुख), विशाल नेत्र, चमकता हुआ सिंदूरी तिलक, और कानों में झूमते कुण्डल भक्तों को मोहित कर रहे हैं। उनके दर्शन से भक्तों का हृदय आनंद से भर जाता है, और वे बार-बार उन्हें निहारना चाहते हैं।

भजन में गणपति की दया और कृपा की भी चर्चा की गई है। जिन पर उनकी कृपा होती है, वे धन्य हो जाते हैं और उनके जीवन में किसी भी चीज़ की कमी नहीं रहती। इसीलिए भक्त यह कामना करते हैं कि उन्हें हर वर्ष गणपति की सेवा और गुणगान करने का अवसर प्राप्त हो।

अंत में, यह भजन भक्तों की उस गहरी श्रद्धा और प्रेम को प्रकट करता है, जो वे गणपति के प्रति रखते हैं। उनके स्वागत में हर वर्ष घर-आँगन सजाए जाते हैं, और वे सौभाग्य, समृद्धि और मंगल का आशीर्वाद प्रदान करने के लिए आते हैं।

"गणपति बप्पा मोरया! अगले बरस तू जल्दी आ!" 🙏✨

Harshit Jain

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