हाथों में लेकर निशान चला रे
( तर्ज - पालकी में होकर सवार चली रे )
वह बुला रहा कैसे रोक लूं
मैं तो चला खाटू धाम
खाटू धाम। हाथों में लेकर निशान चला रे
मैं तो अपने बाबा के धाम चला रे।
हाथों में लेकर निशान चला रे
मैं तो अपने बाबा के धाम चला रे।
हाथों में लेकर निशान चला रे
मैं तो अपने बाबा के धाम चला रे।
हाथों में लेकर निशान चला रे
मैं तो अपने बाबा के धाम चला रे।
हाथों में लेकर निशान चला रे
मैं तो अपने बाबा के धाम चला रे।
हाथों में लेकर निशान चला रे
मैं तो अपने बाबा के धाम चला रे।
श्रेणी : खाटू श्याम भजन
Hatho Me Leke Nishan Chala Re - Khatushyam ji Bhajan | Shubham Rupam LIVE
"पालकी में होकर सवार चली रे" एक प्रसिद्ध भजन है जिसे खाटू श्याम के भक्तों द्वारा श्रद्धा और भक्ति के साथ गाया जाता है। इस भजन के माध्यम से भक्त अपने बाबा के धाम, खाटू धाम, की ओर प्रस्थान करने की भावनाओं को व्यक्त करते हैं। इसके बोल बहुत ही सरल और मधुर हैं, जिसमें हाथों में निशान लेकर बाबा के दरबार में जाने की भावना को उजागर किया गया है। यह भजन खाटू श्याम के प्रति पूर्ण श्रद्धा और विश्वास को प्रकट करता है।
इस भजन को लिखा है प्रसिद्ध भजनकार, जिनके शब्द भक्तों को बाबा के धाम तक पहुंचने की प्रेरणा देते हैं। स्वर में सुंदरता और भावनाओं की गहराई के साथ, यह भजन आज भी भक्तों के दिलों में गूंजता है। संगीतकार ने इसे एक विशेष तर्ज़ में प्रस्तुत किया है जो भक्तों की भावनाओं को सही तरीके से व्यक्त करता है। यह भजन खाटू श्याम के प्रति भक्ति की एक मजबूत अभिव्यक्ति है और सुनने में अत्यधिक मनोहर है।