कारण षटकम्
मम जीवनस्य जीवनम्
उद्भाषितं नित्यशोभनम्
त्वमेव देवं त्वमेव सर्वम्
हृदि स्थिते सदा धारणम्
हे कृष्ण हे माधव हे देव त्वम्
सर्व कारणस्य कारणम् ।। १ ।।
मम हृदयस्य हृदयम्
सत्भाषितं नित्य सदयम्
त्वमेव पूर्णं त्वमेव स्वर्णम्
प्रेमम् आनंदं अद्भुदयम्
हे कृष्ण हे माधव हे देव त्वम्
सर्व कारणस्य कारणम् ।। २ ।।
मम विचारस्य विचारम्
सद्भाव हॄद्भाव संचारम्
त्वमेव सत्यं त्वमेव नित्यम्
स्मृति ज्ञानं सर्व आधारम्
हे कृष्ण हे माधव हे देव त्वम्
सर्व कारणस्य कारणम् ।। ३ ।।
मम शरीरस्य आधारम्
त्वमेक नित्य निराधारम्
त्वमेव धर्मं त्वमेव कर्मम्
सर्वसूत्रस्य सूत्रधारम्
हे कृष्ण हे माधव हे देव त्वम्
सर्व कारणस्य कारणम् ।। ४ ।।
मम सर्व सुख दायकम्
नित्यसुधा वेणु गायकम्
त्वमेव कर्ता त्वमेव धर्ता
माता पिता आत्मनायकम्
हे कृष्ण हे माधव हे देव त्वम्
सर्व कारणस्य कारणम् ।। ५ ।।
मम दिव्य नन्दनंदनम्
आनंदकंद सुचंदनम्
त्वमेव स्वामी हे अन्तर्यामी
सर्व हॄदयस्य स्पंदनम्
हे कृष्ण हे माधव हे देव त्वम्
सर्व कारणस्य कारणम् ।। ६ ।।
|| इति श्री कृष्णदासः विरचित कारण षटकम् सम्पूर्णम् ।।
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श्रेणी : कृष्ण भजन
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