मुझे दिल की दो बातें बाबा से करनी है

मुझे दिल की दो बातें बाबा से करनी है



मुझे दिल की दो बातें बाबा से करनी है,
बाबा से करनी है .........
ये बता दो ज़रा तुम मिलोगे कहाँ,
तुम मिलोगे कहाँ........
मुझे दिल की दो बातें बाबा से करनी है,
बाबा से करनी है .........

बातें मन की बतानी है सुनलो तो हरी,
मुझको गले लगा लो बाबा बिनती है मेरी,
थक गया हूँ प्रभु राह दिखलाओ ना,
राह दिखलाओ ना ........
मुझे दिल की दो बातें बाबा से करनी है,
बाबा से करनी है .........

रिश्ता अगर ना होता तो बिखर जाता मैं,
फिरता मारा ज़माने में संभलता ना मैं,
एक झलक पाने को आँखें नम हो गई,
आँखें नम हो गई ...........
मुझे दिल की दो बातें बाबा से करनी है,
बाबा से करनी है .........

चलना तेरे बच्चो को आसां यूँ ना था,
सरल अगर गिर जाता तो हँसता ये जहाँ,
प्रेमी बन के तेरा क्यूँ मैं जग से डरु,
क्यूँ मैं जग से डरु...........
मुझे दिल की दो बातें बाबा से करनी है,
बाबा से करनी है .........



श्रेणी : खाटू श्याम भजन



Dil Ki Do Baatein Baba Se Karni Hai | Ashu Verma | New Shyam Bhajan 2025| दिल की दो बातें

"दिल की दो बातें बाबा से करनी है" एक अत्यंत भावपूर्ण और हृदयस्पर्शी भजन है, जिसे आशु वर्मा ने अपनी मधुर आवाज़ में गाया है। यह भजन बाबा श्याम के प्रति एक भक्त की गहरी भावनाओं, प्रेम और समर्पण का सजीव चित्रण करता है। इसमें भक्त अपनी अंतरात्मा की आवाज़ को बाबा के चरणों में रखता है और उनसे सीधा संवाद करता है।

भजन की शुरुआत ही एक गहरी तड़प के साथ होती है – "मुझे दिल की दो बातें बाबा से करनी है, ये बता दो ज़रा तुम मिलोगे कहाँ..."। भक्त अपनी व्याकुलता व्यक्त करता है कि वह बाबा से कुछ कहना चाहता है, लेकिन समझ नहीं पा रहा कि उन्हें कहाँ और कैसे खोजे। यह भावना हर भक्त के मन में कभी न कभी आती ही है, जब वह अपने आराध्य से निकटता अनुभव करना चाहता है।

आगे की पंक्तियाँ – "बातें मन की बतानी है सुन लो तो हरी, मुझको गले लगा लो बाबा बिनती है मेरी..." – एक भक्त की करुण पुकार को दर्शाती हैं। यह भाव प्रकट होता है कि जीवन की राह में भटकते-भटकते वह थक गया है और अब बाबा श्याम से मार्गदर्शन चाहता है। भक्त बाबा से अनुरोध करता है कि वे उसे अपने गले से लगा लें और उसका जीवन सरल बना दें।

भजन के अगले हिस्से में भक्त अपने और बाबा श्याम के बीच के अनोखे रिश्ते को बयान करता है – "रिश्ता अगर ना होता तो बिखर जाता मैं..."। यह बताता है कि बाबा श्याम के बिना भक्त की जिंदगी अधूरी और दिशाहीन है। उनकी एक झलक पाने को तरसता मन, आँखों की नमी में व्यक्त होता है, जिससे यह भजन और भी मार्मिक बन जाता है।

अंत में, "प्रेमी बन के तेरा क्यूँ मैं जग से डरु..." यह संदेश देता है कि जब भक्त बाबा श्याम का प्रेमी बन चुका है, तो उसे संसार की कोई चिंता नहीं होनी चाहिए। यह भजन न केवल भक्ति की गहराइयों को छूता है, बल्कि हर उस भक्त की भावनाओं को व्यक्त करता है, जो अपने मन की बात बाबा श्याम से कहना चाहता है। इसे सुनते ही मन में असीम श्रद्धा और श्याम प्रेम उमड़ने लगता है।

Harshit Jain

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