चाहत मेरी यही है वह दिन भी तुम दिखाओ
तर्ज - इस योग्य हम कहां हैं
चाहत मेरी यही है, वह दिन भी तुम दिखाओ
मैं लिखूं भजन तुम्हारे, उन्हें तुम भी गुनगुनाओ
चाहत मेरी यही है, वह दिन भी तुम दिखाओ
चाहत मेरी यही है, वह दिन भी तुम दिखाओ
यह भाव के हैं मोती, जो तुम ही से मिल रहे हैं
जो नित नए भजन के ,यह फूल खिल रहे हैं
जब तन कोई छेड़ें, तुम सुर में सुर मिलाओ
चाहत मेरी यही है, वह दिन भी तुम दिखाओ
चाहत मेरी यही है, वह दिन भी तुम दिखाओ
चरणों में तेरे बैठूं, तेरे ध्यान में रहूं मैं
जब भी जुबा में खोलू, तेरी बात भी करूं मैं
जब जब भी यह नैन छलके,तुम आकर पौंछ जाओ
चाहत मेरी यही है, वह दिन भी तुम दिखाओ
चाहत मेरी यही है, वह दिन भी तुम दिखाओ
मांगू ना कुछ भी ऐसा, लायक नहीं हुं जिसके
प्रभु मैं तो ना समझ हूं, देना तुम ही समझ के
चरणों में जब गीरु मे, तुम ही मुझे उठाओ
चाहत मेरी यही है, वह दिन भी तुम दिखाओ
चाहत मेरी यही है, वह दिन भी तुम दिखाओ
प्रभु मेरे भाव क्या है, तुम ही समझ सकोगे
दिल की यह बातें मेरी, आंखों में पढ़ सकोगे
पंकज हुआ तुम्हारा रखो या भूल जाओ
चाहत मेरी यही है, वह दिन भी तुम दिखाओ
चाहत मेरी यही है, वह दिन भी तुम दिखाओ
चाहत मेरी यही है, वह दिन भी तुम दिखाओ
मैं लिखूं भजन तुम्हारे, उन्हें तुम भी गुनगुनाओ
चाहत मेरी यही है, वह दिन भी तुम दिखाओ
चाहत मेरी यही है, वह दिन भी तुम दिखाओ
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श्रेणी : खाटू श्याम भजन