मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप
दुर्गा सप्तशती के अनुसार, मां ब्रह्मचारिणी श्वेत वस्त्र धारण करती हैं। उनके दाएं हाथ में अष्टदल की माला और बाएं हाथ में कमंडल सुशोभित हैं।मां ब्रह्मचारिणी पूजा-विधि
नवरात्रि के दूसरे दिन जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा की चौकी पर मां ब्रह्मचारिणी का चित्र स्थापित करें। यदि चित्र नहीं है, तो आप नवदुर्गा का फोटो भी स्थापित कर सकते हैं। इसके बाद, धूप और अगरबत्ती जलाएं। मां का षोडशोपचार पूजन करें, चीनी का भोग लगाएं और फल अर्पित करें। अंत में दुर्गा सप्तशती का पाठ कर मां ब्रह्मचारिणी की आरती करें।मां ब्रह्मचारिणी के भोग की विधि
मां ब्रह्मचारिणी को चीनी का भोग लगाना शुभ माना जाता है। इसके साथ ही ब्राह्मण या जरूरतमंद को चीनी दान करें। मान्यता है कि ऐसा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और मां की कृपा बनी रहती है।मां ब्रह्मचारिणी की कथा
मां ब्रह्मचारिणी ने अपने पूर्व जन्म में राजा हिमालय के घर पुत्री के रूप में जन्म लिया। भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए उन्होंने कठोर तपस्या की। उन्होंने कई वर्षों तक फल-फूल और शाक खाकर तप किया। अंततः उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अपना पत्नी रूप में स्वीकार किया।मां ब्रह्मचारिणी पूजा मंत्र
ध्यान:
वन्दे वांछित लाभाय चन्द्रार्घकृतशेखराम्।
जपमाला कमण्डलु धरा ब्रह्मचारिणी शुभाम्॥
स्तोत्र पाठ:
तपश्चारिणी त्वंहि तापत्रय निवारणीम्।
ब्रह्मरूपधरा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥
कवच:
त्रिपुरा में हृदयं पातु ललाटे पातु शंकरभामिनी।
अर्पण सदापातु नेत्रो, अर्धरी च कपोलो॥
मां ब्रह्मचारिणी की आरती
जय अंबे ब्रह्मचारिणी माता।
जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।
ब्रह्मा जी के मन भाती हो।
ज्ञान सभी को सिखलाती हो।
ब्रह्म मंत्र है जाप तुम्हारा।
जिसको जपे सकल संसारा।
जय गायत्री वेद की माता।
जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।
कमी कोई रहने न पाए।
कोई भी दुख सहने न पाए।
उसकी विरति रहे ठिकाने।
जो तेरी महिमा को जाने।
रुद्राक्ष की माला ले कर।
जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर।
आलस छोड़ करे गुणगाना।
मां तुम उसको सुख पहुंचाना।
ब्रह्मचारिणी तेरो नाम।
पूर्ण करो सब मेरे काम।
भक्त तेरे चरणों का पुजारी।
रखना लाज मेरी महतारी।