ठोकर खाई है नींद गंवाई है
तर्ज – मैं ना भूलूंगा
ठोकर खाई है नींद गंवाई है,
ठोकर खायी है नींद गवाई है,
तब जाके तकदीर मुझे, तेरे दर पे लाई है,
ठोकर खायी है नींद गवाई है....
समय ने भी बाबा, बहुत तड़पाया है,
यहां जो अपना था, वही अब पराया है,
जीवन से मैं हार गया था, थाम लिया तूने,
तूने मुझमें जीने की, एक आस जगाई है,
ठोकर खायी है नींद गवाई है....
शुक्रिया उनका है, जो दिल को दुखा के गए,
शुक्रिया उनका है, जो मुझको रुला के गए,
वो जब ना इस दिल को दुखाते, मैं भटका रहता,
आज उन्हीं की वजह से तेरी, चौखट पाई है,
ठोकर खायी है नींद गवाई है....
उमर ये गफलत में, यहां पे गुजारी है,
लोग तो मीठे है, बगल में कटारी है,
लाखों जखम दिए दुनिया ने, मेरे सीने पर,
और तूने हर जखम पे मेरे, दवा लगाई है,
ठोकर खायी है नींद गवाई है....
भरोसा टूटा है, किसी पे भरोसा नहीं,
मेरा दिल टूटा है, नहीं तो मैं रोता नहीं,
तूने बाबा ‘मनुज’ के सारे, आंसू पोंछे है,
आज खुशी से आंख मेरी, बाबा भर आई है,
ठोकर खायी है नींद गवाई है....
ठोकर खाई है नींद गंवाई है,
ठोकर खायी है नींद गवाई है,
तब जाके तकदीर मुझे, तेरे दर पे लाई है,
ठोकर खायी है नींद गवाई है....
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श्रेणी : कृष्ण भजन