हम पागल हैं पागल वृन्दावन धाम के
हम पागल हैं पागल वृन्दावन धाम के
वृन्दावन धाम के, श्री श्यामा श्याम के।।
डोले श्याम नाम के पागल,
वृन्दावन पागल खाने में
मस्ती में मस्त हैं रहते,
मिले पागलपन नज़राने में।।
मन तू भी पागल हो जा,
मस्ताने तरंग में खो जा
चढ़ जाए नासा फिर
नाम के जाम में,
हम पागल हैं पागल
वृन्दावन धाम के।।
पूरे मन से जो लग जाता,
वो लग कर कुछ पा लेता है
सदा अंग संग हरी रहता
पर ध्यान ना कोई देता है।।
कोई झूठे नाम के पागल,
कोई सच्चे श्याम के पागल,
यहां दूर दूर तक,
पागल जगत तमाम में,
हम पागल हैं पागल,
वृन्दावन धाम के।।
कितने हुए अब तक पागल ,
इन की न कोई समायी,
मीरा करमा विधुरानी,
शबरी गोपाली बाई,
पावन भक्तो के चरित्र,
हृदय को करे पवित्र,
पागल करे ‘चित्र विचत्र’,
श्री राधा नाम के,
हम पागल हैं पागल,
वृन्दावन धाम के।।
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श्रेणी : कृष्ण भजन