लंका में डंका श्री राम का
मैं माँ अंजनी का लाला,
श्री राम भक्त मतवाला…….2
मेरा सोटा चल गया रे,
बजा डंका राम का,
लंका में बज गया रे,
डंका श्री राम का।
मैं राम दूत बन आया,
सीता का पता लगाया,
तू अहंकार में अंधा,
तू ने अपना रौब जमाया,
बाहर अन्दर से काला,
करता रहा गड बड़ झाला,
मेरा सोटा चल गया रे,
बजा डंका राम का ……..2
मुझे जोर से भूख लगी थी,
सोचा थोड़े फल खालू,
ये सोच के पेड़ चढ़ा था,
इस पेड़ की आग बुझालू,
किया जम्बू ने घोटाला,
मेरे हाथ से छीना निवाला,
मेरा सोटा चल गया रे,
बजा डंका राम का ……..2
मैंने अक्षय को है मारा,
आ मेघनाथ ललकारा,
जब एक चली ना उसकी,
ब्रह्मास्त्र मुझ पे डारा,
ब्रह्मा का मान रख डाला,
में बंध गया बजरंग बाला,
मेरा सोटा चल गया रे,
बजा डंका राम का ……..2
फिर तू गुस्से में आया,
और मुझे खूब धमकाया,
मेरी पूँछ में आग लगाई,
ना ज्यादा समय गवाया,
वहाँ भड़की ऐसी ज्वाला,
लंका का हुआ दिवाला,
मेरा सोटा चल गया रे,
बजा डंका राम का ……..2
कहे भूलन लंक जलाई,
तेरी अकल में कुछ ना आई,
लंका विध्वंस करके,
अब लेट गया अनुयाई,
ना जपी राम की माला,
हो गया कुटुम्ब का गाला,
मेरा सोटा चल गया रे,
बजा डंका राम का ……..2।
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श्रेणी : हनुमान भजन