जब ढूंढूं अकेलापन मन शोर मचाता है
जब ढूंढूं अकेलापन, मन शोर मचाता है,
तू साथ में होने का, एहसास दिलाता है,
जब ढूंढू अकेलापन......
ये समय का पहिया तो, निश्चित ही घूमेगा,
अंधियारो में राही, रस्ता भी ढूंढेगा,
इन राहों में जब कोई, दीपक दिख जाता है,
तू साथ में होने का, एहसास दिलाता है,
जब ढूंढू अकेलापन......
लालच में देख कोड़ी, मन बार बार दौड़ा,
धन जोड़ लिया झूठा, सच्ची पूंजी को छोड़ा,
सच बोलू जब ये धन,है मेरे काम ना आता है,
तू साथ में होने का, एहसास दिलाता है,
जब ढूंढू अकेलापन......
मालूम है ये मुझको, वो घड़ी भी आनी है,
माटी की ये काया, माटी हो जानी है,
कर्मो का निशा ‘वैभव’, यादों को बनाता है,
तू साथ में होने का, एहसास दिलाता है,
जब ढूंढू अकेलापन......
जब ढूंढूं अकेलापन, मन शोर मचाता है,
तू साथ में होने का, एहसास दिलाता है,
जब ढूंढू अकेलापन......
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श्रेणी : कृष्ण भजन