सिल दे एक निशान मने
सुनले दर्जी बात मेरी,
तन्ने जो जो आज बताऊं रे,
सिल दे एक निशान मने,
जो खाटू जाके चढ़ाऊं रे.....
आई ये रुत फाल्गुन की,
खाटू में चक्का जाम हुआ,
अरे जगह जगह पर देखो,
प्रेमियों का तांता लगा पड़ा,
मेला लाग्या है बाबा का,
मैं तो दर्शन करने जाऊं रे,
सिल दे एक निशान मैंने,
जो खाटू जाके चढ़ाऊं रे.....
मैं तो सूरत से लाया रे,
देख यो कपड़ा चमक धमक,
और संग जयपुर का गोटा,
तू लगा किनारे चटक चटक,
लांबी छोड़ दे एक तू डोरी,
जिसे पकड़ ले जाऊं रे,
सिल दे एक निशान मैंने,
जो खाटू जाके चढ़ाऊं रे.....
मैं तो रिंगस से जाऊंगा,
लेके निशान पैदल पैदल,
अरे खाटू जाके मैं खाऊं,
ये कढ़ी कचोड़ी गरम गरम,
भक्तो के संग में नाचेगा,
‘चिराग’ निशान ले हाथा रे,
सिल दे एक निशान मैने,
जो खाटू जाके चढ़ाऊं रे.....
सुनले दर्जी बात मेरी,
तन्ने जो जो आज बताऊं रे,
सिल दे एक निशान मने,
जो खाटू जाके चढ़ाऊं रे.....
श्रेणी : खाटू श्याम भजन