तेरी जय जय हो शिव शंकर
तेरी जय जय हो शिव शंकर
तेरी जय जय हो शिव शंकर
तुम जटा जूट अभ्यनकार
तेरी जय जय हो शिव शंकर
तुम जाता जूट अभ्यनकार
टन भसमी भूत लगाए
गले नाग फणी लहराए
मैं तो पल पल शिव के नाम को गाऊंगा
हर सोमवार जल और ढूढ़ चढ़ाऊंगा
तेरी जय जय हो शिव शंकर
तुम जाता जूट अभ्यनकार
जो कोई कुँवारी कन्या
सोलह सोमवार व्रत रखती
वो शिव की कृपा पाती
शिव जैसा वार वो वर्ती
शिव मंदिर रोज जो जाकर
शिव लिंग पेर ढूढ़ चढ़ये
कलियुग में वो सारे
शिव की कृपा पा जाए
मैं तो भंग धतूरा
शिव को भोग लगाऊंगा
हर सोमवार को जल
और ढूढ़ चढ़ाऊंगा
तेरी जय जय हो शिव शंकर
तुम जाता जूट अभ्यनकार
कोई कहता तुमको योगी
कोई कहता औघड़ दानी
देव में देव ना दूजा
ना तुम्हारा कोई शानी
नही तुम्हारा कोई शानी
तेरी जाता में पवन गंगा
और माथे पेर चंदा
तेरे तन पर है मृग छाला
और गले में नाग की माला
मैं तो शिव के नाम की
ढूनी रोज लगाऊंगा
हर सोमवार को जल और ढूढ़ चढ़ाऊंगा
तेरी जय जय हो शिव शंकर
तुम जाता जूट अभ्यनकार
ब्रह्मा को वेद दिए है
और रवाँ को दिए लंका
विष पिए हलाहल शंकर
कहलाते है नील कांता
शिव शंकर औघड़ दानी
तुम देव बड़े वरदानी
भोले शिव शंकर की महिमा
देव और असुरो ने मानी
मैं तो ओम नमः शिवाये जपता जाऊँगा
हर सोमवार को जल और ढूढ़ चढ़ाऊंगा
तेरी जय जय हो शिव शंकर
तुम जाता जूट अभ्यनकार
श्रेणी : शिव भजन