एक गिलहरी बार बार सागर में पूंछ भिगावे
मैं तो पत्थर उठा नहीं पाई,
के बालू ले आई।।
एक गिलहरी बार बार सागर में पूंछ भिगावे,
पूंछ भिगावे रेत लपेटे पुल पे आन गिरावे
बड़े नुकीले पत्थर प्रभु तेरे पाँव में ना चुभ जावे,
बालू आपकी राह को भगवन कितना सुगम बनावे।।
देख वानरों की सेवा महान,
मेरे दिल में जगे है अरमान,
मैं तो पत्थर उठाय नहीं पाई,
के बालू ले आई।।
बड़े बड़े वानरों की बडी बडी बात है,
मैं छोटी सी गिलहरी प्रभु मेरी क्या बिसात है,
मेरे दिल में जगे ये अरमान,
तेरी सेवा करू मैं मेरे राम,
मैं तो पत्थर उठाय नहीं पाई,
के बालू ले आई।।
छोटी सी सेवा स्वीकारो प्रभु जी,
सबको है तारा मोहे तारो प्रभु जी,
ले लो अपनी शरण में मेरे राम,
मेरे दिल में जगे ये अरमान,
मैं तो पत्थर उठाय नहीं पाई,
के बालू ले आई।।
तेरी ये सेवा ना भूले रघुराई,
युगों युगों कथा तेरी जाएगी सुनाई,
तेरा रघुकुल पे है ये अहसान,
तेरे दिल में जगे ये अरमान,
तू तो पत्थर उठाय नहीं पाई,
के बालू ले आई।।
देख वानरों की सेवा महान,
मेरे दिल में जगे है अरमान,
मैं तो पत्थर उठा नहीं पाई,
के बालू ले आई।।
श्रेणी : राम भजन