मैं खाटू नगरी आ गया क्या कहना क्या कहना
तर्ज - ढूंढत ढूंढत खाटू नगरी आ गयी
मैं खाटू नगरी आ गया क्या कहना क्या कहना,
बाबा का दर्शन पा गया क्या कहना क्या कहना,
यहां बिगड़ी सबकी बने,
बाबा सबका कष्ट हरे,में इससे ज्यादा क्या कहूं,
खुशियों का मौसम छा गया क्या कहना क्या कहना,
मैं खाटू नगरी आ गया क्या कहना क्या कहना,
बाबा का दर्शन पा गया क्या कहना क्या कहना,
तेरे द्वार का अजब नजारा, कितना पावन और प्यारा,
हारे का तू ही सहारा ,प्रेमी का है तू प्यारा,
दरबार तेरा मन भा गया क्या कहना क्या कहना,
मैं खाटू नगरी आ गया क्या कहना क्या कहना,
बाबा का दर्शन पा गया क्या कहना क्या कहना,
तू तीन बाण को लेकर जब चले महाभारत में,
कहीं गौरव जीत न जाए बढ़ गए कृष्ण है रथ मे,
मोहन को पसीना आ गया क्या कहना क्या कहना,
मैं खाटू नगरी आ गया क्या कहना क्या कहना,
बाबा का दर्शन पा गया क्या कहना क्या कहना,
फिर कहा श्याम सुंदर ने एक दान तुमसे मैं मांगू,
जब शीश काट तुम दे दो मैं दानी तुमको मानू,
तब दानी शीश कहा गया क्या कहना क्या कहना,
मैं खाटू नगरी आ गया क्या कहना क्या कहना,
बाबा का दर्शन पा गया क्या कहना क्या कहना,
जो भी ग्यारस पर आए, वह मुंह मांगा फल पाए,
दर्दीला आस लगाए शैली है गीत रचाये,
महफिल में धूम मचा गया क्या कहना क्या कहना,
मैं खाटू नगरी आ गया क्या कहना क्या कहना,
बाबा का दर्शन पा गया क्या कहना क्या कहना,
मैं खाटू नगरी आ गया क्या कहना क्या कहना,
बाबा का दर्शन पा गया क्या कहना क्या कहना,
यहां बिगड़ी सबकी बने,
बाबा सबका कष्ट हरे,में इससे ज्यादा क्या कहूं,
खुशियों का मौसम छा गया क्या कहना क्या कहना,
मैं खाटू नगरी आ गया क्या कहना क्या कहना,
बाबा का दर्शन पा गया क्या कहना क्या कहना,
श्रेणी : खाटू श्याम भजन