पीलादे थोड़ी भंग गौरा ना छाई पियू ना मैं कॉफी
पीलादे थोड़ी भंग गौरा
ना छाई पियू ना मैं कॉफी
ना तो बिस्कुट ख़ौ ना टॉफ़ी
एक भंग पियू सू गौरा
उसमे भी कफा क्यो होती
पीलादे थोड़ी भंग गौरा
हम तो बस भंग के भूखे
सिंगर – राम कुमार लक्खा
पिलेड थोड़ी भंग गौरा
हम तो बस भंग के भूखे
तू ताले कुण्डी सोता
और लगले भंग में घोटा
मानने हुड़क लगी भंगिया की
ले आ तू भरला दो लोटा
सावन में घाना जल बरसे
या कंठ भंग को तरसे
पीलादे थोड़ी भंग गौरा
हम तो बस भंग के भूखे
हम तेरे साधु जोगी
खा लेते मिल जाए जोभी
नही छप्पन भोग के भूखे
नही माया के हम लोभी
चेलए पक्के बन जाते
जो मानने भाग पाइलेट
पीलादे थोड़ी भंग गौरा
हम तो बस भंग के भूखे
गौरा नखरा करना माना है
मानने भंग से प्रेम घाना है
भंग धतूरा गांजा
भोला इनको ही बना है
रघुवंशी ज़रा समझड़े
रे राम कुमार ये गेया दे
पीलादे थोड़ी भंग गौरा
हम तो बस भंग के भूखे
श्रेणी : शिव भजन