मैं कब से खड़ी हूं दर पर तेरे मेरे भोले
तर्ज - महावीर तुम्हारे द्वारे पर
मैं कब से खड़ी हूं दर पर तेरे मेरे भोले तुझको ध्यान नहीं,
क्या मैं भक्त नहीं तेरी या तू मेरा भगवान नहीं,
मैं कब से खड़ी हूं दर पर तेरे मेरे भोले तुझको ध्यान नहीं,
सुनती हूं तो दुखनासी है, सुखकारी घट घट वासी है,
फिर कैसे कहूं मैं नाथ तुम्हें संकट मेरे का ज्ञान नहीं,
मैं कब से खड़ी हूं दर पर तेरे मेरे भोले तुझको ध्यान नहीं,
जो जन तेरी शरण में आता है ,वह मनवांछित फल पाता है,
मैं भी तेरी शरण में आई हूं मुझको मिलता कुछ दान नहीं,
मैं कब से खड़ी हूं दर पर तेरे मेरे भोले तुझको ध्यान नहीं,
दर छोड़ तेरा अब कित जाऊं, जन दिन ना कछु कर पाऊं,
नादान सही में है भगवन पर इतनी तो नादान नहीं,
मैं कब से खड़ी हूं दर पर तेरे मेरे भोले तुझको ध्यान नहीं,
मैं कब से खड़ी हूं दर पर तेरे मेरे भोले तुझको ध्यान नहीं,
क्या मैं भक्त नहीं तेरी या तू मेरा भगवान नहीं,
मैं कब से खड़ी हूं दर पर तेरे मेरे भोले तुझको ध्यान नहीं,
श्रेणी : शिव भजन