एहसान तेरे इतनें कैसे मैं चुकाऊंगा
तर्ज – शिवनाथ तेरी महिमा
एहसान तेरे इतने, कैसे मैं चुकाऊंगा,
क्या क्या किया है तुमने, कैसे मैं भुलाऊँगा,
एहसान तेरे इतनें, कैसे मैं चुकाऊंगा...
कभी सुख भी नहीं पाया, हरदम ही दुःख उठाया,
गैरो की क्या कहे हम, अपनों ने ही रुलाया,
जो टूट गए रिश्ते, कैसे मैं निभाऊँगा,
क्या क्या किया है तुमने, कैसे मैं भुलाऊँगा,
एहसान तेरे इतनें, कैसे मैं चुकाऊंगा...
ये सच है ज़माने में, कन्हैया ने संभाला है,
अटके जो मुश्किलों में, इसने ही निकाला है,
बाकी ये बचा जीवन, सेवा में बिताऊँगा,
क्या क्या किया है तुमने, कैसे मैं भुलाऊँगा,
एहसान तेरे इतनें, कैसे मैं चुकाऊंगा...
मिला साथ तेरा जबसे, संवरी है ज़िंदगानी,
क्या थे क्या हो गए है, सब तेरी मेहरबानी,
जो प्यार मिला तुमसे, सबको मैं बताऊँगा,
क्या क्या किया है तुमने, कैसे मैं भुलाऊँगा,
एहसान तेरे इतनें, कैसे मैं चुकाऊंगा...
ये सच है श्याम तेरे, कर्जदार ही रहेंगे,
‘मोहित’ कहे असल क्या, ना ब्याज दे सकेंगे,
इतना है दिया तुमने, कितना मैं दिखाऊँगा,
क्या क्या किया है तुमने, कैसे मैं भुलाऊँगा,
एहसान तेरे इतनें, कैसे मैं चुकाऊंगा...
एहसान तेरे इतने, कैसे मैं चुकाऊंगा,
क्या क्या किया है तुमने, कैसे मैं भुलाऊँगा,
एहसान तेरे इतनें, कैसे मैं चुकाऊंगा...
श्रेणी : खाटू श्याम भजन