तू जीने मर्जी दुःख दे ले दुःख सेहन दी आदत पे गई ऐ
तू जीने मर्जी दुःख दे ले दुःख सेहन दी आदत पे गई ऐ ॥
वेदरदा तेनु की कहना ॥,चुप रहन दी आदत पै गई ऐ,
तू जीने मर्जी दुःख दे....
साडे चेहरे उते लिखियाँ ने साडे दिल उते जो जो बितियाँ ने,
असी भूलना चाहिए भुल्दे नही मेरे नाल तू जो जो कितियाँ ने ॥
सहनु मंदड़ा बोलियाँ माफ़ करी ॥ सच कहन दी आदत पै गई ऐ,
तू जीने मर्जी दुःख दे....
असी इकले हा ते की होया ,तू खुश वस् नाल रकीबा दे,
सहनु तेरे उते दोष नही असी माडे आ यार नसीबा दे.
सहनु मेले चंगे लगदे नही वख रहन दी आदत पे गई ऐ,
तू जीने मर्जी दुःख दे....
साड़े हिसे विच जो आइयाँ ने सोच ते नाकामियां ने,
की करिये साड़े लेखा विच रुस्वियाँ ते बदनामिया ने,
सहनु मेले चंगे लगदे नहीं सहनु देहन दी आदत पे गई ऐ,
तू जीने मर्जी दुःख दे....
तेरे दिल दियां यारा तू जाने साड़े दिल विच सूरत तेरी ऐ,
तू जीना चिर साडे नाल रहवे सहनु ऊनि उम्र वखेरी ऐ,
सहनु मेले चंगे लगदे नही वाख रेहन दी आदत पे गई ऐ,
तू जीने मर्जी दुःख दे....
ब्रिज राज से नाता जुड़ा जब है तो किया जग की परवाह करे,
बस याद में उनकी रोते रहे निरंतर अशरु परवाह करे,
जितने वोह दूर भागे हमसे उतनी दुनी हम चाह करे,
किया अद्भुत सुख इस प्रेम में है हम आह करे वो वाह करे,
आ रोना धोना दर्द ते गम साड़े सजन रोग पुराने ने,
तू सजन भावे भूल जावे असी किते कोल निभाने ने,
सहनु गम दिया यादा नाल सजन नित रहन दी आदत पे गई ऐ
श्रेणी : कृष्ण भजन