त्रंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग - Trimbakeshwar Jyotirlinga

श्री त्रंबकेश्वर मंदिर में त्रिनेत्र वाले भगवान शिव का एक ज्योतिर्लिंग स्थापित है, जो तीन छोटे-छोटे लिंगों के रूप में प्रतीत होता है, जो ब्रह्मा, विष्णु और शिव के प्रतीक स्वरूप हैं। मंदिर में गर्भगृह में शिवलिंग दिखाई नहीं देता है, लेकिन गौर से देखने पर अर्घा के अंदर तीन छोटे लिंग दिखाई देते हैं।
त्रंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग - Trimbakeshwar Jyotirlinga
मंदिर का निर्माण पुराने स्थान पर पेशवा बालाजी बाजीराव तृतीय द्वारा कराया गया था। निर्माण कार्य 1755 में शुरू हुआ और 1786 में पूरा हुआ। यह मंदिर ब्रह्मगिरी, नीलगिरी और कालगिरी नामक तीन पहाड़ियों के बीच स्थित है। मंदिर के चारों ओर प्रवेश द्वार हैं, जो आध्यात्मिक दृष्टि से पूर्व दिशा को प्रारंभ, पश्चिम दिशा को परिपक्वता, दक्षिण दिशा को पूर्णता और उत्तर दिशा को रहस्योद्घाटन को दर्शाते हैं। इसके अलावा नीलगिरी पर्वत पर नीलाम्बिका देवी और दत्तात्रेय गुरु का मंदिर है और गंगा द्वार पर्वत पर देवी गोदावरी और गंगा का मंदिर है।

मंदिर में दैनिक तीन समय की पूजा का विधान है और सोमवार को त्रंबकेश्वर महाराज को चाँदी के पंचमुखी मुकुट के साथ पालकी में गाँव में भ्रमण कराया जाता है। इसके बाद कुशावर्त तीर्थ स्थित घाट पर स्नान करके वापस मंदिर में शिवलिंग पर पंचमुखी मुकुट पहनाया जाता है। यह यात्रा त्रंबक महाराज के राज्याभिषेक जैसा होता है और इसे सामिल होना एक अत्यंत सुखद अनुभव है।

कालसर्प शांति, त्रिपिंडी विधि और नारायण नागबलि पूजन सिर्फ त्रंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग पर ही किया जाता है और मंदिर के गर्भगृह में स्त्रियों का प्रवेश वर्जित है।

Harshit Jain

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