Shivling par jal kaise chadhaye |shivling par jal chadane ke niyam


1. शुभ मुहूर्त: शिवलिंग पर जल चढ़ाने के लिए शुभ मुहूर्त चुनना आवश्यक होता है। सोमवार को शिवलिंग पर जल चढ़ाने की परंपरा विशेष रूप से मान्य है, क्योंकि सोमवार को शिवजी का दिन माना जाता है। इसके अलावा कोई विशेष तिथि या मुहूर्त जैसे मासिक शिवरात्रि या पूर्णिमा आदि भी चुना जा सकता है।

2. जल का प्रकार: शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय अच्छे जल का चयन करें। शुद्ध और पवित्र जल प्राथमिकता होनी चाहिए। बहुत सारे लोग गंगा जल का उपयोग करते हैं, क्योंकि यह शिवजी को प्रिय होता है। यदि गंगा जल उपलब्ध नहीं है, तो आप पवित्र नदियों या तीर्थ स्थलों से प्राप्त किया गया जल भी उपयोग कर सकते हैं।

3. स्नान और पवित्रता: जल चढ़ाने से पहले स्नान करें और पवित्र हों। शुद्धता बहुत महत्वपूर्ण है, इसलिए स्नान के बाद ही जल चढ़ाया जाना चाहिए।

4. ध्यान और पूजा: जल चढ़ाते समय ध्यान और पूजा में लगे रहें। आप शिवमंदिर में विधिवत पूजा करके जल चढ़ा सकते हैं या फिर अपने घर में शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय आपको शिव भक्ति करते हुए मन्त्र जप कर सकते हैं।

5. अंगूठे का चयन: जल चढ़ाते समय अपने अंगूठे का चयन ध्यान से करें। आप अपने अंगूठे का चयन इस प्रकार कर सकते हैं कि वह सुन्दर और पवित्र हो और उसमें किसी भी प्रकार की धातु न हो।

6. समर्पण: जल चढ़ाते समय अपने मन में शिवजी की भक्ति और समर्पण के साथ जल चढ़ाएं। यह अवसर है शिवजी के प्रति आपकी श्रद्धा और आदर्श जाहिर करने का।

इस दिशा में रखें मुंह

भगवान शिव को जल चढ़ाते वक्त आपका मुंह पूर्व दिशा की ओर कभी नहीं होना चाहिए. इस दिशा को भगवान शिव का प्रवेश द्वार माना जाता है. इसलिए इस दिशा की ओर मुंह करके जल चढ़ाने से भगवान शिव के द्वार में रुकावट पैदा होती है और वह नाराज हो जाते हैं. शिवलिंग पर जल चढ़ाते वक्त आपका मुख उत्तर दिखा की ओर होना चाहिए. इस दिशा को भगवान शिव का बायां अंग कहा गया है, जो माता पार्वती को समर्पित है. इस दिशा में मुंह करके जल देने से माता पार्वती और भगवान शिव दोनों की कृपा प्राप्त होती है.

किस बर्तन का करें इस्तेमाल?

भगवान शिव को हमेशा कलश से ही जल अर्पित करें. भगवान शिव पर जल चढ़ाने के लिए तांबे का कलश सबसे अच्छा माना जाता है. आप चांदी या कांसे के लोटे से भी जलाभिषेक कर सकते हैं. भगवान शिव पर जल चढ़ाने के लिए स्टील का बर्तन इस्तेमाल न करें. वहीं तांबे के कलश में दूध से जल अर्पित न करें. ऐसा करना अशुभ होता है.

बैठकर जल चढ़ाएं

शिवलिंग पर हमेशा बैठकर जल चढ़ाएं. इतना ही नहीं, रुद्राभिषेक करते वक्त भी खड़े न रहें. पुराणों में कहा गया है कि अगर आप खड़े होकर जल चढ़ाते हैं तो वह भगवान शिव को समर्पित नहीं होता और ना ही उसका लाभ मिलता है.

दाएं हाथ से करें जलाभिषेक

शिवलिंग पर जल हमेशा दाएं हाथ से ही चढ़ाएं और बाएं हाथ को दाएं हाथ से स्पर्श करें. जल चढ़ाते वक्त जल की धारा पतली बहकर आए, इसलिए धीरे-धीरे भगवान को जल चढ़ाना चाहिए. साथ ही ओम नम: शिवाय का जाप करें.

शिवलिंग पर जल चढ़ाने के 5 विधि, प्रसन्‍न होंगे भोलेनाथ

धर्म-शास्‍त्रों में कहा जाता है कि भगवान शिव को प्रसन्‍न करना सबसे आसान है. शिवजी अपने भक्‍तों से जल्‍दी प्रसन्‍न हो जाते हैं सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित है. सोमवार को शिवलिंग का अभिषेक करना, शिवलिंग पर जल चढ़ाना, शिवजी की विधि-विधान से पूजा करना भक्‍तों की हर मुराद पूरी करवा देता है. माना जाता है कि भगवान शिव तो केवल जल चढ़ाने से ही प्रसन्‍न हो जाते हैं. बस इसके लिए शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय कुछ नियमों का पालन करना होता है, वरना गलत तरीके से शि‍वलिंग पर जल चढ़ाने से शिव जी नाराज भी हो सकते हैं.

शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय ध्‍यान रखें की आपका मुख पूर्व दिशा में नहीं हो क्‍योंकि पूर्व दिशा को ही भगवान शिव का मुख्‍य द्वार माना गया है. ऐसे में पूर्व दिशा की ओर मुख करके जल चढ़ाने से शिव के द्वार में अवरोध पैदा होता है. इससे शिव जी नाराज हो सकते हैं.


लिहाजा शिवलिंग पर जल चढ़ते समय दक्षिण दिशा की ओर मुख रहना सबसे अच्‍छा माना गया है. ऐसा करने से जलाभिषेक का पूरा फल मिलता है. शिवजी प्रसन्‍न होंगे और आपकी हर मुराद पूरी होगी.

शिवलिंग पर जल हमेशा तांबे या पीतल के पात्र से चढ़ाएं. चांदी के पात्र से भी जल चढ़ाना शुभ है. लेकिन स्‍टील के लोटे या पात्र से कभी भी जल ना चढ़ाएं. स्‍टील या लोहे पर शनि-राहु का प्रभाव रहता है, जो अशुभ फल देता है.
शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय ध्‍यान रखें कि जल्‍दी से जल ना चढ़ाएं बल्कि एक छोटी धारा बनाकर जल चढ़ाएं. इस दौरान ऊं नम: शिवाय मंत्र का जाप करते रहें.

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