हनुमानजी को भायेअभिमान नहीं थोड़ा
हनुमानजी को भाये अभिमान नहीं थोड़ा
जोकर गुमान आया उसका गुमान तोड़ा
हनुमान जी को भाये ना भये अभिमान नहीं थोड़ा
जो कर गुमान आया उसका गुमान तोड़ा
भक्तों में शिरोमदी है ये बस राम रस को पीठ है
करते हैं भजन राम का मस्ती में सदा जीते हैं
मस्ती में सदा जीते हैं
जो राम नाम जाते हैं उनसे ही नाता जोड़ा
हनुमान जी को भाये ना भये अभिमान नहीं थोड़ा
जो कर गुमान आया उसका गुमान तोड़ा
था महाबली भीम को अभिमन खुद पे भारी
भयी द वो हनुमान के पर द वो अहंकारी
उनका भी शीश शर्मा से पल में झुक के छोटा
हनुमान जी को भये अभिमान नहीं थोड़ा
जो कर गुमान आया उसका गुमान तोड़ा
संसार के जो है रक्षक रक्षक करू मैं उनकी
देखा गमंद सुदर्शन का मारी है एक थंकी
जब डाट में थोड़ा रोना लगा निगोड़ा
शनि देव को अहम हुआ हमसे त्रिलोक हरा
एक दिन आ हनुमान को अभिमान से लालकरा
शंख शनि की मिट गई बजरंग ने मान तोड़ा
हनुमान जी को भाये अभिमान नहीं थोड़ा
जो कर गुमान आया उसका गुमान तोड़ा
लक्खा जो भक्ति भाव से हनुमानजी को ध्याने
शनि राहु केतु कोई हो उसे नहीं सतते
जो बेधाकड़ शरण गया भक्ति से उसे जोड़ा
हनुमान जी को भाये अभिमान नहीं थोड़ा
जो कर गुमान आया उसका गुमान तोड़ा
हनुमान जी को भाये अभिमान नहीं थोड़ा
जो कर गुमान आया उसका गुमान तोड़ा
श्रेणी : हनुमान भजन