हम तेरे शहर में आए हैं मुसाफिर की तरह
हम तेरे शहर में आए हैं मुसाफिर की तरह,
सिर्फ़ इक बार मुलाक़ात का मौका दे दे...
मेरी मंजिल है कहाँ मेरा ठिकाना है कहाँ,
सुबह तक तुझसे बिछड़ कर मुझे जाना है कहाँ,
सोचने के लिए इक रात का मौका दे दे,
हम तेरे शहर में आए है मुसाफिर की तरह,
सिर्फ़ इक बार मुलाक़ात का मौका दे दे...
अपनी आंखों में छुपा रक्खे हैं जुगनू मैंने,
अपनी पलकों पे सजा रक्खे हैं आंसू मैंने,
मेरी आंखों को भी बरसात का मौका दे दे,
हम तेरे शहर में आए है मुसाफिर की तरह,
सिर्फ़ इक बार मुलाक़ात का मौका दे दे....
आज की रात मेरा दर्द-ऐ-मोहब्बत सुन ले,
कंप-कंपाते हुए होठों की शिकायत सुन ले,
आज इज़हार-ऐ-खयालात का मौका दे दे,
हम तेरे शहर में आए है मुसाफिर की तरह,
सिर्फ़ इक बार मुलाक़ात का मौका दे दे...
भूलना ही था तो ये इकरार किया ही क्यूँ था,
बेवफा तुने मुझे प्यार किया ही क्यूँ था,
सिर्फ़ दो चार सवालात का मौका दे दे,
हम तेरे शहर में आए है मुसाफिर की तरह,
सिर्फ़ इक बार मुलाक़ात का मौका दे दे....
हम तेरे शहर में आए हैं मुसाफिर की तरह,
सिर्फ़ इक बार मुलाक़ात का मौका दे दे....
श्रेणी : कृष्ण भजन
हम तेरे शहर में आये है, मुसाफिर की तरह | पूनम दीदी | असन्ध | पानीपत | 23-03-2017 | बाँसुरी
हम तेरे शहर में आए हैं मुसाफिर की तरह ( Ham Tere shahar Mein Aaye Hain Musafir Ki Tarah ) Lyrics, Krishna Bhajan, by Singer: Sushri Poornima Ji
Note :- वेबसाइट को और बेहतर बनाने हेतु अपने कीमती सुझाव नीचे कॉमेंट बॉक्स में लिखें व इस ज्ञानवर्धक ख़जाने को अपनें मित्रों के साथ अवश्य शेयर करें।