गगरिया फोड़ दी मेरी
( माँ यशोदा के पास गोपियाँ रोज़ ही शिकायत लेके आती,
एक दिन एक गोपी आयी, और माँ यशोदा से कन्हैया की शिकायतें कुछ इस तरह करने लगी,
की माँ तेरा ये शरारती ये नटखट, इस कान्हा ने क्या किया है देखो। )
अरी मैया कन्हैयां की शरारत क्या कहूं नटखट की,
मटकिया फोड़ दी मेरी, गगरिया फोड़ दी मेरी,
कि आके पीछे से चुपके से, तेरे इस छलिया ने कान्हा ने,
मटकिया फोड़ दी मेरी.....
अंधेरी रात में आकर, मेरा माखन चुराता है,
ये लडता है झगडता है, मुझे आंख दिखाता है,
चुनरियाँ खीच कर मेरी, वो मारा हाथ घूँघट पट पे,
नथनियाँ तोड़ दी मेरी......
फसा कर मुझको बातौ में, सदा घर पै बुलाती है,
अगर इन्कर करू मईया, शिकायत लेके आती है,
ये झूठी है जमाने भर की मिली थी कल मुझे पनघट पै,
बसुरिया तोड़ दी मेरी.....
ये झगडा गोपी कान्हा का, निराला है अनोखा है,
बिहारी से हां मिलने का सुनहरा ये ही मौका है,
मै बलिहारी री मैं बारी, कन्हैया को बिठाकर घर में,
लगनिया जोड़ दी मेरी......
श्रेणी : कृष्ण भजन
Gagriya Phod Di Meri (HQ) Yasoda Jayo Laal | Lakhbir Singh Lakha
गगरिया फोड़ दी मेरी भजन लिरिक्स Gagriya Fod Di Meri Hindi Lyrics, Krishna Bhajan, by Singer: Lakhbir Singh Lakha Ji
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