माँ वैष्णो देवी की कथा
श्रीधर मां दुर्गा का परम भक्त था, वह बहुत ही गरीब व्यक्ति था। एक बार श्रीधर को स्वपन में मां दुर्गा के दर्शन हुए श्रीधर मां दुर्गा के उस स्वपन को देखकर इतना प्रभावित हुआ कि उसने मां दुर्गा का भंडारा करने का निर्णय किया, लेकिन गरीब होने के कारण वह मोहल्ले के लोगों को भंडारा कराने में अशक्त था।
एक दिन श्रीधर ने शुभ मुहूर्त देखकर देवि का भंडारा करने का निर्णय किया और आस पड़ोस के गांव वालों को निमंत्रण दे आया जैसे-जैसे दिन बीतने लगे वह भिक्षा मांगने जाता और भंडारे के लिए सामान इकठ्ठा करना शुरू किया लेकिन जितने भोजन की आवश्यकता थी उतना राशन नहीं जुटा पा रहा था।
इसी तरह दिन बीतता गया और भंडारा का दिन आ गया, उस दिन श्रीधर को नींद भी नहीं आई और उन्होंने देवी के सामने अपनी आंखें बंद कर लीं और अब सोचने लगे कि मैं सबको कैसे खिलाऊंगा।
भक्त श्रीधर माता दुर्गा से विनती करने लगा की हे मां मेरी मदद करें, इसी दौरान गांव के कुछ लोग भंडारे के लिए आने लगे और जैसे-जैसे सब उसके झोपड़ी में बैठने लगे श्रीधर की चिंता भी बढ़ने लगी परंतु कुछ समय पश्चात उसे आश्चर्य हुआ कि कि इतनी छोटी झोपड़ी में इतने लोग बैठे हैं है फिर भी झोपड़ी में बैठने के लिए काफी जगह बची है और भंडार ग्रह में देखने पर उसे पता चला सारे बर्तन भोजन से भरे हुए हैं और भोजन बर्तनों में अपने आप भर रहा है।
इस अद्भुत घटना को देखकर सभी लोग हैरान रह गए, तब भक्त श्रीधर ने एक छोटी सी बच्ची को अपनी कुटिया में सबको खिलाते हुए देखा, उसे यह जानने में देर नहीं लगी कि वह लड़की कोई और नहीं बल्कि खुद मां दुर्गा थी।
जब इस घटना की सूचना आज पड़ोस के लोगों को लगी तो भैरवनाथ नामक एक साधु को शक हुआ कि यह कोई दिव्य कन्या है, उस कन्या के बारे में जानने के लिए वह साधु कन्या का पीछा करने लगा।
भैरवनाथ को देख देवी तेजी से भागने लगी, भैरवनाथ भी उनका पीछा करने लगा। तब देवी कन्या रूप में वायु रूप में बदलकर त्रिकुटा पर्वत की ओर उड़ चली।
ऐसी मान्यता भी है की जब देवी भैरवनाथ से बचकर जा रहे थे तो भगवान हनुमान उनकी रक्षा के लिए भैरवनाथ से लड़ने लगे तभी पवन पुत्र हनुमान को प्यास लगी तो माता से आग्रह करने पर माता ने धनुष द्वारा पहाड़ पर बाण चलाकर जल प्रकट किया और उसी जल में अपने केस धोए।
जब देवी भागते भागते थक गई तो एक स्थान पर रुक कर पीछे मुड़कर भैरवनाथ को देखने लगी उसी स्थान पर मां दुर्गा की चरणो के निशान बन गए, इस स्थान को चरण पादुका नाम से पूजा जाता है।
कन्या रूपी माता ने भैरवनाथ को समझाने की कोशिश की परंतु जब वह नहीं माना तो माता उससे बचने के लिए उसी पर्वत की गुफा में जाकर छिप गई, इस गुफा में देवी दुर्गा 9 महीने तक छुपी रहि।
इस गुफा के बाहर हनुमान जी ने 9 महीने तक पहरा दिया और देवी की रक्षा की। जब भैरवनाथ ने कन्या का का पीछा नहीं छोड़ा तो एक साधु वहां से गुजर रहे थे उन्होंने भी भैरवनाथ को समझाने की कोशिश की कि जिसे तुम कन्या समझ रहे हो वह जगत माता देवी दुर्गा है। परंतु भैरवनाथ ने उनकी बात नहीं मानी और उसी को पा के बाहर 9 महीने तक खड़ा रहा।
कहा जाता है कि देवी दुर्गा उस गुफा की दूसरी ओर से मार्ग बनाकर निकल गई, तभी से इस गुफा को अर्द्धकुमारी या आदि कुमारी और गर्भ जून नाम से जाना जाने लगा।
जब मां दुर्गा गुफा से बाहर नहीं निकली तो भैरव नाथ गुफा में घुसने की कोशिश करने लगा, यह देख पहरा दे रहे हनुमान क्रोधित हो गए और भैरवनाथ को युद्ध के लिए ललकारा। हनुमान और भैरव नाथ का युद्ध बहुत समय तक चला युद्ध का कोई अंत नहीं होते देख माता दुर्गा ने महाकाली का रूप धारण कर भैरवनाथ का सर धड़ से अलग कर दिया। यह भी कहा जाता है कि वध के बाद भैरवनाथ को अपनी मूर्खता पर पछतावा हुआ और वे मां दुर्गा से माफी मांगने लगे।
माता वैष्णो को भैरवनाथ पर दया आती है इसलिए उन्होंने भैरवनाथ को माफ कर दिया और उन्हें पूर्व जन्म के चक्र से मुक्ति प्रदान की इसके साथ ही भैरवनाथ को वरदान दिया कि कोई भी भक्त जो मेरे दर्शन के लिए आता है, जब वह आपको भी दर्शन करेगा, तो उसे मेरे दर्शन का फल मिलेगा।
श्रेणी : दुर्गा भजन
Vaishno Katha | आज के दिन माँ वैष्णो की यह चमत्कारी कथा सुनने से सभी मनोकामना पूर्ण हो जाती है
माँ वैष्णो देवी की कथा हिंदी लिरिक्स Maa Vaishno Devi Ki Katha In Hindi Lyrics, Durga Bhajan, by Singer: Kumar Vishu Ji
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