कात्यायनी माता की कथा महिमा
माँ का नाम कात्यायनी कैसे
पड़ा इसकी भी एक कथा है
कत नामक एक प्रसिद्ध महर्षि थे।
उनके पुत्र ऋषि कात्य हुए।
इन्हीं कात्य के गोत्र में विश्वप्रसिद्ध
महर्षि कात्यायन उत्पन्न हुए थे।
इन्होंने भगवती पराम्बा की
उपासना करते हुए बहुत वर्षों
तक बड़ी कठिन तपस्या की थी।
उनकी इच्छा थी माँ भगवती उनके
घर पुत्री के रूप में जन्म लें।
माँ भगवती ने उनकी यह
प्रार्थना स्वीकार कर ली।
कुछ समय पश्चात जब दानव
महिषासुर का अत्याचार पृथ्वी
पर बढ़ गया तब भगवान ब्रह्मा,
विष्णु, महेश तीनों ने अपने-अपने
तेज का अंश देकर महिषासुर के
विनाश के लिए एक देवी को उत्पन्न किया।
महर्षि कात्यायन ने सर्वप्रथम इनकी पूजा की।
इसी कारण से यह कात्यायनी कहलाईं।
ऐसी भी कथा मिलती है कि ये महर्षि
कात्यायन के वहाँ पुत्री
रूप में उत्पन्न हुई थीं।
आश्विन कृष्ण चतुर्दशी को जन्म लेकर
शुक्त सप्तमी, अष्टमी तथा नवमी तक
तीन दिन इन्होंने कात्यायन ऋषि की
पूजा ग्रहण कर दशमी को
महिषासुर का वध किया था।
माँ कात्यायनी अमोघ फलदायिनी हैं।
भगवान कृष्ण को पतिरूप में पाने के
लिए ब्रज की गोपियों ने इन्हीं की
पूजा कालिन्दी-यमुना के तट पर की थी।
ये ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री
देवी के रूप में प्रतिष्ठित हैं।
माँ कात्यायनी का स्वरूप अत्यंत
चमकीला और भास्वर है। इनकी
चार भुजाएँ हैं। माताजी का दाहिनी
तरफ का ऊपरवाला हाथ अभयमुद्रा में
तथा नीचे वाला वरमुद्रा में है। बाईं
तरफ के ऊपरवाले हाथ में तलवार
और नीचे वाले हाथ में कमल-पुष्प
सुशोभित है इनका वाहन सिंह है।
माँ कात्यायनी की भक्ति और उपासना
द्वारा मनुष्य को बड़ी सरलता से अर्थ,
धर्म, काम, मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति हो जाती है।
वह इस लोक में स्थित रहकर भी अलौकिक
तेज और प्रभाव से युक्त हो जाता है ||
श्रेणी : दुर्गा भजन
छटवाँ नवरात्रि: कात्यायनी माता की कथा महिमा (अमृतवाणी) | Katyayani Mata Katha | Navratri Bhajan
कात्यायनी माता की कथा महिमा लिरिक्स Katyayani Mata Katha Mahima Lyrics, Durga Bhajan, by Singer: Varsha Shrivastava Ji
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