झोपड़िया मेरी ऐसी बनवाइयो नन्दलाल
ऐसी बनवाइयो झोपड़िया ऐसी बनवाइयो झोपड़िया,
झोपड़िया मेरी ऐसी बनवाइयो नन्दलाल
हो जिसमे सारा बुढ़ापा कट जवे....
जमुना जी के तट पे आके मोहन नीम धरा जइयो,
राधा रानी के संग आके मुहुर्त जरा कर जाइयो,
इस कुटिया के दरवाजे पे राधा नाम लिखाऊ,
झोपड़िया मेरी ऐसी बनवाइयो नन्दलाल....
इस कुटिया के आंगन के म्हा तुलसी और केला लाऊं,
कदम्ब का पेड़ लगा के उसकी छाया में मैं सो जाऊं,
इस आंगन में तने बिठाके पंखा झूल झुलाऊँ,
झोपड़िया मेरी ऐसी बनवाइयो नन्दलाल....
सामण में जब मीह बरसे कुटिया में मोहन आ जइयो,
सामण में रक्षाबंधन पे राखी तू बंधवा जाइयो,
तेरे धोरे बैठ के अपने मन की मैं बतलाऊँ,
झोपड़िया मेरी ऐसी बनवाइयो नन्दलाल....
भगती भाव ते धरा होया इस कुटिया में एक मंदिर हो,
सुबह श्याम डेरी करूँ आरती तू मंदिर के अंदर हो,
ग्यारस बारस और पूर्णिमा जगराता करवाऊँ,
झोपड़िया मेरी ऐसी बनवाइयो नन्दलाल.....
श्रेणी : कृष्ण भजन
झोपड़िया मेरी ऐसी बनवाइयो नन्दलाल | Jhopadiya Meri Aisi Banwaiyo | Krishna Bhajan | Meenakshi Mukesh
झोपड़िया मेरी ऐसी बनवाइयो नन्दलाल लिरिक्स Jhopadiya Meri Aisi Banvaiyo Nand Lal Lyrics, Krishna Bhajan, by Singer: Meenakshi Mukesh Ji
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