प्रभु कैसा खेल रचाया है
प्रभु कैसा खेल रचाया है,
पर मेरी समझ नहीं आया है,
प्रभु कैसा खेल रचाया है,
पर मेरी समझ नहीं आया है।
पृथ्वी नीचे पाताल बनाया,
ये मिट्टी कहां से लाया है,
पर मेरी समझ नहीं आया है,
प्रभु कैसा खेल रचाया है,
पर मेरी समझ नहीं आया है।
भांति भांति के पेड़ बनाए,
ये बीज कहां से लाया है,
पर मेरी समझ नहीं आया है,
प्रभु कैसा खेल रचाया है,
पर मेरी समझ नहीं आया है।
तूने रंग बिरंगे फूल खिलाए,
यह रंग कहां से लाया है,
पर मेरी समझ नहीं आया है,
प्रभु कैसा खेल रचाया है,
पर मेरी समझ नहीं आया है।
कितने तरह के पशु पक्षी बनाए,
ये आवाज कहां से लाया है,
पर मेरी समझ नहीं आया है,
प्रभु कैसा खेल रचाया है,
पर मेरी समझ नहीं आया है।
तूने अलग-अलग मनुष्य बनाए,
ये सांचा कहां से लाया है,
और कैसे ये खेल रचाया है,
पर मेरी समझ नहीं आया है,
प्रभु कैसा खेल रचाया है,
पर मेरी समझ नहीं आया है,
प्रभु कैसा खेल रचाया है,
पर मेरी समझ नहीं आया है।
श्रेणी : कृष्ण भजन
प्रभु कैसा खेल रचाया है ये मेरी समझ नहीं आया है | Prabhu Kaisa Khel Rachaya Hai | Krishna Bhajan |
प्रभु कैसा खेल रचाया है ये मेरी समझ नहीं आया है लिरिक्स Prabhu Kaisa Khel Rachaya Hai Lyrics, Krishna Bhajan, by Singer: Upasana Mehta Ji
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