पतंग उड़ाओ जी प्यारा पेच लड़ाओ जी
आओ गोविंद प्यारा आओजी,
मैं पकडूंलो चरखी थे तो पतंग उड़ाओ जी ,
पतंग उड़ाओ जी प्यारा पेच लड़ाओ जी,
आओ गोविंद प्यारा आओ जी ....
देखो वो काटा वो काटा जी,
राधे जी की कनखी कर रही सैर सपाटा जी,
सैर सपाटा जी कर रही सैर सपाटा जी ,
आओ गोविंद प्यारा आओ
जी...
पवन वेग में सर सर सर सर फर फर फर फर करती,
ऊपर नीचे दाऐं बाएं ,खूब छलांगां भरती,
दूणा दूणा भर भर काटे जी,
राधे जी की कनखी कर रही सैर सपाटा जी ,
आओ गोविंद प्यारा आओ जी....
चन्द्र महल का डागड़ा से देखो राधा रानी,
सखियों के संग पतंग उड़ाए कर कर खेंचातानी,
थे तो पचरंगी लहराओ जी,
म्हे पकडूंलो चरखी थे तो पतंग उड़ाओ जी ,
आओ गोविंद प्यारा आओ जी ....
लाल गुलाबी नीली पीली चमकीली औऱ भूरी,
राधे जी की सबसे ऊंची वा देखो अंगूरी,
आओ गोविंद प्यारा आओ जी ......
मैं पकडूंलो चरखी थे तो पतंग उड़ाओ जी ।।
श्रेणी : कृष्ण भजन

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