रुत झोलिया भरन दी आय
रुत झोलिया भरन दी आयी,
के मैया ने भंडार खोलिया हूँ सबदा,
ओहहदे दर ते थोड़ ना कोई,
के मंगने दी लोड कोई ना,
होई ऐ दयाल मेरी माँ.
'करदे सबनू निहाल मेरी माँ।।
तेरी भवन जग तो निराला,
निराली तेरी शान अम्बिके सुन अम्बिये,
करो दूर हनेरे मन दे के,
जग दिए ज्योता वालिये,
होई ऐ दयाल मेरी माँ,
'करदे सबनू निहाल मेरी माँ।।
जिथे पुरियां होन मुरदा,
के ओ दर मैया दा सुन भगता,
रहे नच दा लाल दवारा,
जिथे माँ लाल वंड दी,
होई ऐ दयाल मेरी माँ,
'करदे सबनू निहाल मेरी माँ।।
नही छडनी गुलामी तेरी,
तू रख चाहे मार दातिये सुन अम्बिये,
मेरे वरगे करोड़ा दाती,
तेरे जेहा होर कोई ना,
होई ऐ दयाल मेरी माँ,
'करदे सबनू निहाल मेरी माँ।।
तेरे दर ते यात्री आये,
ओ मुखो जय जयकार बोलदे,
तेरा 'चंचल' तरले पावे,
तू चरना च ला ले दातिये,
होई ऐ दयाल मेरी माँ,
'करदे सबनू निहाल मेरी माँ।।
रुत झोलिया भरन दी आयी,
के मैया ने भंडार खोलिया हूँ सबदा,
ओहहदे दर ते थोड़ ना कोई,
के मंगने दी लोड कोई ना,
होई ऐ दयाल मेरी माँ,
'करदे सबनू निहाल मेरी माँ।।
श्रेणी : दुर्गा भजन
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